Best 15 वृंदावन में घूमने की जगह – संपूर्ण वृंदावन यात्रा दर्शन

क्या आप अभी तक वृंदावन तीर्थ यात्रा नहीं किए हैं और जाने की योजना बना रहे हैं तो निश्चित रूप से यह लेख वृंदावन में घूमने की जगह से लेकर कब जाना चाहिए ? कैसे जाएं ? वहां रुकने तथा खाने-पीने की क्या व्यवस्था रहती है ? आपके इन सभी सवालों के जवाब अंत तक इस लेख में मिल जाएंगे.

वृंदावन उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्थल है, पौराणिक ग्रंथ भगवत गीता पुराण में वर्णित इस धाम को समस्त ब्रह्मांड का तीर्थ स्थल बताया गया।

विश्व के सात सबसे पुरानी नगरी में से एक मथुरा का क्षेत्र प्राचीन समय में चौरासी कोस का हुआ करता था और इस पूरे क्षेत्र को ब्रजभूमि के नाम से जाना जाता था इसी ब्रज के अंदर वृंदावन है जहां राधा रानी के अनुमति के बिना प्रवेश नहीं किया जा सकता।

आइए जानते हैं वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिर अथवा वृंदावन के दर्शनीय स्थल के बारे में ,

वृंदावन में घूमने की जगह

कहते हैं वृंदावन की यात्रा करना हर किसी के नसीब नहीं होता जो मनुष्य बहुत भाग्यवान होता है जिसके ऊपर राधा रानी की कृपा होती है उसी व्यक्ति को इस धाम में दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होता है आगे इस लेख में वृंदावन के दर्शनीय स्थल की एक विस्तृत सूची है जिनके बिना वृंदावन यात्रा अधूरी रह जाती है-

1. श्री बांके बिहारी मंदिर

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ब्रज धाम के 7 सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक श्री बांके बिहारी वृंदावन का प्रसिद्ध मंदिर है यहां भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप में दर्शन होते हैं इसीलिए बरसों से चली आ रही परंपरा के अनुसार श्री कृष्ण के देखरेख एक बच्चे की तरह की जाती है जिसके कारण मंदिर का पर्दा हर 5 मिनट में बंद किया जाता है इसके पीछे की मन्यता है यदि कोई भी भक्त सच्चे दिल से उनसे नजरे मिला लेता है तो उसी के साथ चले जाते हैं ।

मंदिर के गर्भगृह में स्थापित श्री कृष्ण की मूर्ति प्राकृतिक रूप से यहां स्वयं प्रकट हुई है इसी स्थान पर स्वामी हरिदास जी भजन कीर्तन करके अत्यंत लीन रहते थे तब भगवान उनसे प्रसन्न होकर इसी स्थान पर दिव्य दर्शन दिए जिसके बाद उन्होंने ठीक उसी जगह पर मंदिर का निर्माण कराया।

  • गर्मियों के दिनों में मंदिर 9:00 बजे खुलता है और बाकी के मौसम में 8:30 बजे

2. राधाबल्लभ मंदिर

बांके बिहारी मंदिर से पैदल दूरी पर स्थित राधा वल्लभ टेंपल वृंदावन में घूमने लायक जगह है जहाँ श्री कृष्ण खुद राधामयी हो जाते है राधा में किशन और किशन में राधा नजर आती है उनके इसी रूप से माना जाता है कि राधा और कृष्ण एक ही है , मंदिर में लटके जटा इस बात का प्रमाणित करते हैं कि आज भी वृंदावन के कण कण में भगवान का वास है।

पुराणों के अनुसार यह मंदिर उसी स्थान पर बना है जहाँ राधा रानी नृत्य करते हुए थक जाती है तो भगवान स्वयं उनके चरण दवाते है ऐसा दुर्लभ दर्शन बैकुंठ धाम के अलावा धरती लोक में कहीं और देखने को नहीं मिलेगा इसीलिए सबसे ज्यादा भीड़ वृंदावन के इसी मंदिर में देखने को मिलते हैं।

  • यहां जाने का सबसे अच्छा समय कार्तिक मास कामाना जाता है
  • इस मंदिर में जाने की कोई फीस नहीं है खुलने का समय सुबह 5:00 से 12:00 और शाम 6:00 से रात्रि 9:00 तक .

3. निधिवन

वृंदावन में सबसे रहस्यमई मंदिर है निधिवन जिसके बारे में कहा जाता है आज भी रात में भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी रासलीला करने के लिए आते हैं

यह एक ऐसा दिव्य स्थल है जहां श्री कृष्ण जी ने राधा रानी का स्वयं सिंगार किए और उनके साथ महारास लीला किए थे वृंदावन की यात्रा के दौरान निधिवन के मंदिर में दर्शन करना अत्यंत शुभ फल दायक माना जाता।

शाम ढलते ही निधिवन के मंदिर बंद होने से पहले ही जंगल से जीव जंतु बंदर मनुष्य हर कोई वन छोड़ देते है ऐसा इसलिए किसी भी प्राणी को दिव्य शक्ति को देखने की ताकत नहीं होती यदि वह किसी तरह देख ले तो उसकी मृत्यु हो जाती है निधिवन में श्री कृष्ण का शयन कक्ष भी है इसके अलाबा राधा बंशी चोर और कृष्ण दर्शन होंगे।

  • यह मंदिर प्रेम मंदिर से 4 कलोमीटर और बांकेबिहारी से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ।

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4. केसी घाट

भगवान श्री कृष्ण के जीवन काल की अगर कोई भी चीज आज बच्ची हुई है तो वह है वृंदावन के धरती, यहां की यमुना नदी, गोवर्धन पर्वत और निधिवन इसी निधिवन के पास में पड़ता है केसी घाट जो वृंदावन तीर्थ यात्रियों के बीच बहुत लोकप्रिय स्थान है तथा इसी स्थान पर हर 12 वर्ष में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है।

यमुना के इस घाट में डुबकी लगाने के लिए साल भर लाखों श्रद्धालु आते हैं और शाम के समय यमुना की भव्य आरती में शामिल होते हैं। इसके साथ साथ पर्यटक अपनी यात्रा को एडवेंचर तरीके से इंजॉय करने के लिए यमुना में नाव की सवारी का आनंद उठाते हैं।

5. प्रेम मंदिर

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वृंदावन के सबसे प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों में से एक प्रेम मंदिर इतना विशाल और सुन्दर है की यहाँ आने के बाद वापस मंदिर छोड़ने का मन नहीं करता मंदिर परिसर के भीतर राधा कृष्ण गोपियों और ब्रज वासियों के अनेकों लीलाओं को जीवंत लगने वाली मूर्तियों के रूप में प्रदर्शित किया गया है।

इस मंदिर का निर्माण जगतगुरु कृपालु जी महाराज द्वारा 2012 में कराया गया था तब से यह भारत के सबसे सुंदर मंदिरों की सूची में शामिल है और यहां हर साल लाखों करोड़ों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

  • मंदिर खुलने का समय सुबह 5:30 बजे से रात्रि 8:30 बजे तक
  • सभी धर्म के लोगों को निशुल्क प्रवेश है

6. चीर घाट

चीर घाट यमुना नदी का वही घाट जहां भगवान श्री कृष्ण गोपियों के बस्त्र छुपाये थे ,एक बार ब्रज की गोपिया बिना बस्त्रो के स्नान कर रही थी तब भगवान ने उन्हें ये बताने के लिए उनके बस्त्रो को चुराए की जल में वरुण है ऊपर सूर्य और चन्द्रमा सब देख रहे है

इस जगह के बारे में पुराणों में कहा गया है की जब श्री कृष्ण जी ने शिशुपाल का वध किए थे तब उनकी उंगली में चोट लगने की वजह से खून निकल रहा था तब द्रोपती वहां मौजूद थे और यह देखकर उन्होंने अपना आंचल फाड़कर भगवान की उंगली में बांध दिया तब उन्होंने द्रोपति को वचन दिया कि बहनआज से मैं तुम्हारा ऋणी हुआ आपातकाल आए तो हमें याद करना।

द्रोपती के साथ आपातकाल आया था दुशाशन उनकी साड़ी खींच रहा था पांडवो ने रक्षा नहीं कर पाए थे फिर द्रोपती की रक्षा भगवान श्री कृष्ण ने किया था तभी से इस घाट में पर्यटकों द्वारा वस्त्र चढ़ाने की परंपरा है।

7. मानसरोवर

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वृन्दावन से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी माठ तहसील में स्थित मानसरोवर एक झील है जिसके बारे में मान्यता है कि राधा की आंसुओं से उत्पन्न हुई है। पौराणिक महत्व के अनुसार मथुरा जाने से पहले भगवान श्री कृष्ण वृंदावन के सभी गोपियों के साथ मिलकर इसी स्थान पर रासलीला किए थे और वह इतनी खूबसूरत लीला थी स्वयं शिव जी धरती लोक में नारी के रूप में प्रकट होकर इसमें शामिल हुए।

भगवान श्री कृष्ण, शिव के स्वरूप को पहचान लिया और उनके साथ नृत्य करने लगे यह सब देखकर राधा जी रूठ कर एक पहाड़ी पर जा कर रोने लगी तब उनके बहते हुए आंसुओं से झील उत्पन्न हुई जिसे मानसरोवर कहा जाता है। वृंदावन तीर्थ यात्रा पर जाने वाले यात्री मानसरोवर दर्शन के लिए अवश्य जाते हैं आप भी अपनी यात्रा में इस स्थान को अपनी लिस्ट में जरूर शामिल करिएगा।

8. इस्कॉन मंदिर

यह मंदिर केवल वृंदावन में नहीं बल्कि दुनिया भर में बहुत मशहूर है यहां पर हरे राम ,हरे कृष्णा का जाप करते हुए मंदिर केअंदर विदेशी श्रद्धालु भी मिलेंगे जो कि पूरे मन से भक्ति उल्लास से साधना करते हैं यहां तक की कई विदेशी श्रद्धालु यहां आकर बस चुके हैं।

मंदिर के गर्भ गृह में आपको भगवान श्री कृष्ण, राधा रानी और बलराम का भव्य दरबार दिखेगा जिसमें बड़ी खूबसूरत प्रतिमाएं रखी गई है संध्या काल में विदेशी सैलानियों की यहां भक्ति देखने के लिए भारी संख्या में पर्यटकों की भीड़ लगती है।

  • इस्कॉन टेंपल में प्रवेश निशुल्क है.
  • मंदिर खुलने का समय सुबह 4:30 से 1:00 तक और शाम 4:30 बजे से रात्रि 8:30 बजे तक.

9. पागल बाबा मंदिर

वृंदावन के पागल बाबा मंदिर में दर्शन करना बहुत ही पूजनीय माना जाता है 9 मंजिला बने इस मंदिर के पहले माले में चर्च, दूसरे में मस्जिद ,तीसरे में गुरुद्वारा और चौथे मंजिल में सनातन धर्म के मंदिर देखने को मिलेंगे जो इस बात का संदेश देते हैं कि सभी धर्मों के लोगों को एकजुटता से मिलकर भाईचारे के रूप में रहना चाहिए।

मंदिर की भव्यता के बारे में इसी से पता चलता है कि यह 9 मंजिला है जो 120 फीट चौड़ा 800 फीट लंबाई है।

  • मंदिर खुलने का समय सुबह 5:30 बजे से दोपहर 11:00 बजे तक और दोपहर 3:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक.

10. दानघाटी

दानघाटी मंदिर में श्री कृष्णा की बड़ी ही अद्भुत लीला है इस मंदिर में भगवान बिना बासुरी लिए मनिहारी के रूप में दर्शन देते हैं ऐसा इसलिए जब भगवान अपनी शाखाओं के साथ गोपियों की मटकी फोड़ कर माखन चुरा लेते तब तब सभी गोपियों ने राधा से शिकायत की जिससे राधा रानी नाराज हो जाती तब उन्हें मनाने के लिए कन्हैया मां यशोदा की साड़ी पहनकर चूड़ी बेचने वाले के भेष में राधा जी को मनाने के निकले थे।

11. वैष्णो देवी मंदिर

प्रेम मंदिर से 3और बांके बिहारी मंदिर से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित वैष्णो देवी मंदिर का मुख्य आकर्षण मां दुर्गा की 141 फीट ऊंची विशाल मूर्ति जिसमें हनुमान जी माता के चरणों में बैठे हुए हैं, इसे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है।

मंदिर के गुफा रहित गर्भ गृह में गर्मियों के मौसम में शीतल जल का भराव किया जाता है जिससे श्रद्धालुओं को शीतलता प्रदान करता है तथा मंदिर के गर्भ गृह में दुर्गा के नव अलग-अलग स्वरूपों बाली मूर्तियां स्थापित की गई हैं।

12. वृंदा कुंड

सम्पूर्ण ब्रज मंडल में राधा कृष्णा का 8 जगहों में प्रत्यक्ष रूप से मिलन होता है जिनमे से वृंदा कुंड सर्व प्रथम है ऐसा उल्लेख हमारे शास्त्रों में लिखा गया है ।

वृंदा देवी भगवान श्री कृष्ण की लीला सहकारिता सखी है क्योकि राधा रानी वृन्दावन की रानी हैऔर वृंदा कुंड 8 योग शक्ति पीठो में सबसे प्रथम योग पीठ है।

13. राधा दामोदर मंदिर

इस मंदिर का मुख्य आकर्षण एक विशाल शिला पर पर अंकित कृष्ण के पद चिन्ह , मुरली और उनकी चहेती श्यामा गाय के पैरो के निशान है जिसके दर्शन मात्र से प्राणी धन्य हो जाता है ।

मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि जो भक्त गोवर्धन परिक्रमा करने में असमर्थ है वह केवल राधा दामोदर मंदिर के चार बार परिक्रमा करने से उसकी गोवर्धन परिक्रमा पूर्ण मानी जाती है।

14. बंसीवट

आप वृन्दावन में जितने भी मंदिर देखंगे वो सभी किसी संतो या राजा महाराजाओं द्वारा भगवान की लीला स्थली पर बनाए गए हैं लेकिन बंसीवट एक ऐसी जगह है जो भगवान के निजी लीला स्थली है।

यहां मौजूद 5000 वर्ष पुराना वटवृक्ष जिसके नीचे एक बार गोपियों के यह कहने पर प्रभु आप तो हमेशा सिर्फ राधा के संग नृत्य करते हो तब प्रभु ने अनेकों रूप धारण किए और मुरली की ऐसी धुन बजाई कि पूरा ब्रजमंडल अपना सांसारिक कर्तव्य छोड़कर श्री कृष्ण के बंशी की मधुर सुनने के लिए आ गए थे इसीलिए यह जगह पर्यटकों को अत्यंत ही सुखद की अनुभूति कराता है।

15. कालियादेह घाट

कालियादेह वृंदावन के दर्शनीय स्थल का वह स्थान है जहाँ से श्री कृष्ण जी ने अपने बाल्य अबस्था में कदम वृक्ष से यमुना नदी में कूदकर कालिया नाग के ऊपर चढ़ नृत्य किए और उसे वृन्दावन से हटाए थे कालांतर में यमुना नदी का पानी यहीं से बहता था लेकिन वर्तमान समय में अब 100 मीटर आगे खिसक गया है।

16. श्री रंगजी मंदिर

भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर श्री बांके बिहारी से आधा किलोमीटर दूरी पर स्थित जिसकी शानदार नक्काशी और विशालकाय दरबार में प्रवेश करने के बाद पर्यटक अचानक दूसरी दुनिया में पहुंच जाते हैं और मंदिर के बाहर वापस लौटने का रास्ता भटक जाते हैं।

अपनी बेहतरीन नक्काशी से आश्चर्यचकित कर देने वाला यह दिव्य दरबार दक्षिण भारत के शैली में निर्मित है जिसके परिसर में 60 फीट ऊंचा सोने का खंबा है इसके अंदर बनी मूर्तियां हाथी, घोड़े, सूरज, गरुण और हनुमान की प्रतिमा सोने से सुसज्जित है, इस मंदिर से भगवान रंगनाथ जी का रथ साल में एक बार बाहर निकला जाता है

वृंदावन कैसे जाएं ?

वृंदावन पहुंचना बेहद आसान है क्योंकि यह देश की राजधानी नई दिल्ली से मात्र 160 और ताजमहल नगरी आगरा से महज 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है

यदि आप बाय ट्रेन आना चाहते हैं तो इस का नजदीकी रेलवे स्टेशन मथुरा जंक्शन है जो देश के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और हवाई यात्रा करके वृंदावन पहुंचने वाले यात्रियों के लिए निकटतम हवाई अड्डा इंदिरा गांधी एयरपोर्ट नई दिल्ली है जिसकी दूरी 160 किलोमीटर है।

वृंदावन में कहां रुकना चाहिए ?

यदि आप केवल वृंदावन की यात्रा करना चाहते हैं तो वहां रुकने की सबसे अच्छी जगह श्री बांके बिहारी मंदिर से आधा किलोमीटर दूर बहुत सारे होटल धर्मशाला और आश्रम देखने को मिल जाएंगे जो हर बजट के होते हैं आप अपने अनुसार इनका चयन कर सकते हैं

FAQ-

वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिर के नाम ?

वैसे तो वृंदावन में आप घूमते घूमते थक जाएंगे लेकिन यहां के मंदिर खत्म नहीं होंगे लेकिन उन सभी में कुछ प्रसिद्ध है, जैसे श्री बांके बिहारी मंदिर प्रेम मंदिर, राधा वल्लभ मंदिर, इस्कॉन टेंपल, निधिवन, केसी घाट, रंगजी और कालिया घाट मंदिर हैं.

वृंदावन कब जाना चाहिए ?

वृंदावन में साल के 12 महीने श्रद्धालुओं का आवागमन लगा रहता है लेकिन यहां घूमने का सबसे अच्छा समय अगस्त से मार्च के बीच का होता है इसी दौरान जन्माष्टमी ,राधा अष्टमी और होली में अत्यधिक संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं।

आशा करता हूं वृंदावन में घूमने की जगह की यह सूची आपको यात्रा करने में सहूलियत प्रदान करेगा आपकी यात्रा को सुखद सफल और मंगल होने की कामना करता हूं

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