विंध्याचल मंदिर की (A-Z) जानकारी – यात्रा, रहस्य पूजा विधि

vindhyachal mandir in hindi मां विंध्यवासिनी के नाम से विख्यात 51 शक्तिपीठों में से एक विंध्याचल मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य के मिर्जापुर जिले के विंध्यांचल नामक एक छोटे शहर में गंगा नदी के किनारे स्थित है।

दोस्तों अगर आप विंध्याचल धाम की यात्रा करने की सोच रहे हैं तो आपको यह लेख अंत तक जरूर पढ़ना चाहिए इस लेख के माध्यम से विंध्यांचल मंदिर के रहस्य, पूजा विधि तथा मंत्र के बारे में जानने के साथ-साथ आसपास घूमने में भी काफी ज्यादा सहूलियत मिलेगी।

विंध्याचल धाम का महत्व इसलिए भी विशेष है क्योंकि यह दुनिया का इकलौता ऐसा हिंदू धार्मिक स्थल है जहां देवी दुर्गा आदिशक्ति के सभी रूपों में विराजमान है। यहां देवी के 3 प्रसिद्ध मंदिर हैं जो इस प्रकार-

  1. मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर
  2. काली खोह मंदिर
  3. अष्टभुजा मंदिर

जो भक्त इन (त्रिकोण परिक्रमा )यानी कि 3 मंदिरों की परिक्रमा तथा दर्शन हेतु जाता है केवल उन्हीं की विंध्याचल धाम यात्रा संपूर्ण मानी जाती है।

इस स्थान का वर्णन हिंदू पौराणिक ग्रंथों में बड़े सुंदर शब्दों में किया गया है कहा जाता है कि मां दुर्गा ने इस स्थान पर महिषासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए स्वयं प्रकट हुई थी।

विंध्याचल मंदिर का रहस्य

भगवत गीता में वर्णित विंध्याचल पर्वत में विराजमान विंध्यवासिनी देवी को माता यशोदा और नंद की पुत्री बताया गया है।

भगवान श्री कृष्ण और योग माया का जन्म एक ही समय हुआ था लेकिन आकाशवाणी के अनुसार वसुदेव कृष्ण को यमुना पार करके गोकुल के नंद गांव में यशोदा के घर छोड़ आए थे और वहां से उसी रात जन्मी यशोदा की पुत्री लेकर कंस के कारावास में वापस लौट आए थे।

जब कंस को देवकी के आठवें संतान के जन्म लेने का पता लगता है तो वह उसे मारने के लिए उतावला होकर कारावास में पहुंच जाता है।

उस पुत्री को उठाकर जैसे ही पत्थर में फेंकने की कोशिश करता है वैसे ही विकराल रूप धारण करके मां दुर्गा प्रकट हो जाती है और भविष्यवाणी करते हुए कहती हैं कंस तुझे मारने वाला मथुरा में जन्म ले चुका है और उसके बाद वहां से आकर विंध्यांचल के इसी पर्वत में अपने उसी विशाल रूप में आकर देवी यहां विराजमान हो गई ।

इसीलिए यह धाम हिंदू तीर्थों का तीर्थ स्थल माना जाता है क्योंकि देवी यहां अपने पूर्ण रूप में विराजमान होकर अपने भक्तों की सेवा कर रही हैं।

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विंध्याचल त्रिकोण परिक्रमा कैसे करें ?

आदि शक्ति दुर्गा विंध्याचल पर्वत में पूर्ण स्वरूप में विराजमान है जिनके तीन अलग-अलग कोने में मंदिर है और यह 4 किलोमीटर के दायरे में स्थित है ।

आइए जानते हैं विंध्याचल मंदिर का दर्शन कैसे किया जाता है और परिक्रमा मार्ग में पड़ने वाले धार्मिक स्थानों के बारे में-

  • श्रद्धालु दर्शन से पहले मंदिर के बगल से बहती पवित्र पावनी गंगा में स्नान करके सबसे पहले मां विंध्यवासिनी मंदिर में देवी के सभी स्वरूपों के दर्शन करते हैं ।
  • विंध्याचल मंदिर के दर्शन के उपरांत भक्त विंध्यवासिनी मंदिर से 3 किलोमीटर दूर मां काली के दर्शन के लिए काली खोह की तरफ प्रस्थान करते हैं। और इसके जंगली रास्ते में मां काली गुफा भी पर्यटकों केआकर्षण का केंद्र होता है।
  • यहां दर्शन के पश्चात श्रद्धालु अपने अगले पड़ाव काली खोह मंदिर के लिए निकल पड़ते हैं जो वहां से ढाई किलो मीटर की दूरी पर स्थित है।
  • भक्तों के लिए तीसरा और आखिरी पड़ाव अष्टभुजा देवी मंदिर है जो कि काली खोह गुफा से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
  • यहां मां दुर्गा का वही स्वरूप है जो विकराल रूप धारण करके कंस के वध करने के भविष्यवाणी की थी जिसे हम योग माया के नाम से जानते हैं और भगवान श्री कृष्ण की बहन है ।

माँ विंध्यवासिनी मंत्र

ह्ये हि यक्षि महायक्षि विंध्यवासिनी शीघ्रं मे सर्व तंत्र सिद्धि कुरू-कुरू स्वाहा

मां विंध्यवासिनी की पूजा विधि ?

सबसे पहले पूजा यंत्र तैयार करते हुए उसमें सभी दिशाओं में सात सुपारी रखकर सोने की तार नुमा किसी ज्वेलरी से विंध्यवासिनी यंत्र लपेट कर पूजा की थाली में रखें इसके बाद 7 अगरबत्ती और दीपक प्रज्वलित करें और पांच बार इस मंत्र का जाप करें

देवता मम अभिष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोग
विश्रवा ऋषि अनुष्टुपछंद: विंध्यवासिनी,
ॐ अस्य विंध्यवासिनी मन्त्रस्य,

विंध्याचल धाम में रुकने तथा खाने की क्या व्यवस्था ?

दोस्तों वैसे तो विंध्यांचल यात्रा आपकी 1 दिन में पूरी हो जाएगी लेकिन अगर आप यहां रुक कर आसपास की जगहों को घूमना चाहते हैं तो आपको ठहरने के लिए विंध्याचल से 2 किलोमीटर की दूरी पर बहुत सारे होटल देखने को मिल जाएंगे जिनका प्रतिदिन का चार्ज 500 से 1000 होता है आप अपने बजट के अनुसार इन्हें बुक कर सकते हैं।

अगर हम यहां खाने पीने की बात करें तो यहां ₹150 में स्पेशल थाली भोजन रेस्टोरेंट में मिल जाता है।

विंध्याचल मंदिर खुलने का समय

सामान्य दिनों में भक्तों के लिए दर्शन का समय इस प्रकार है

5:00 AM12:00 बजे दोपहर तक
1:15 PM7:15 बजे रात्रि तक
8:159:30 रात्रि बजे तक
10:00 बजे रातआधी रात 12:00 बजे तक

नवरात्रि शुरू होते ही मंदिर निरंतर 24 घंटे भक्तों के दर्शन के लिए चालू रहते हैं क्योंकि उस समय भारत के कोने-कोने से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और भीड़ इतनी ज्यादा हो जाती है गिनती में नहीं होती

विंध्याचल यात्रा कब जाना चाहिए ?

मां का दरबार भक्तों के लिए साल भर निरंतर चालू रहता है आप जब चाहे जगदंबा के दर्शन के लिए यहां जा सकते हैं लेकिन नवरात्रि शुरू होते ही यहां भक्तों के कतारें लगभग 2 किलोमीटर दूर से लग जाती है और यह समय यहां घूमने का पिक टाइम माना जाता है।

विंध्याचल में घूमने की जगह

विंध्याचल धाम मंदिरों के दर्शन के साथ-साथ यहां आए हुए पर्यटकों के लिए मौज मस्ती हेतु भी कई स्थान हैं चलिए जानते हैं-

1. अष्टभुजा मंदिर का रोपवे

विंध्याचल पर्वत के अष्टभुजा मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों के साथ-साथ रोपवे की सुविधा उपलब्ध है जिसका आनंद आप अपनी यात्रा के दौरान जरूर उठाएं जब इसमें बैठकर सफर करेंगे तो आपको हरे-भरे पहाड़ों के शानदार मनमोहक दृश्य दिखाई देंगे।

2. गंगा में नाव की सवारी

विंध्याचल यात्रा के दौरान आप यहां नौका विहार का लुफ्त उठा सकते हैं यहां गंगा के कई घाट बने हुए हैं जहां नाव की सवारी कराई जाती है।

3. राम गया घाट

गंगा नदी के इस घाट में भगवान श्री राम के बाएं पैरों की निशानियां नदी के बीच में देखने को मिलती है और यह त्रिकोण यात्रा का एक हिस्सा है जहां बहुत सारे देवी देवताओं के मंदिर बने हुए जिनके दर्शन जरूर करना चाहिए।

4. सीता कुंड

इस कुंड के बारे प्रचलित मान्यता के अनुसार राम वनवास काल में कुछ समय के लिए यहां ठहरे थे तब माता सीता को खाना बनाने के लिए पानी की आवश्यकता थी तो प्रभु श्रीराम ने अपने बालों को धरती में चलाएं और वहां से पानी उत्पन्न हुआ। तब से लेकर आज तक यह कुंड कभी खाली नहीं हुआ और यह जल स्किन से संबंधित रोग के लिए औषधियों का काम करता है

5. काली गुफा

विंध्यवासिनी मंदिर से काली खो जाने के रास्ते पर पड़ता है काली गुफा जो पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है तो यहां एक बार आप जा सकता है।

विंध्याचल कैसे पहुंचे ?

आइए जानते हैं विंध्यांचल धाम मंदिर तक पहुंचने के साधनों के बारे में-

ट्रेन से विंध्याचल कैसे पहुंचे

यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन विंध्यांचल है जोकि मंदिर से महज 500 मीटर की दूरी पर स्थित है लेकिन अगर आपके शहर से डायरेक्ट यहां के लिए ट्रेन उपलब्ध नहीं है तो आप मिर्जापुर के लिए ट्रेन पकड़ सकते हैं और यह मंदिर मिर्जापुर स्टेशन से 8 किलोमीटर की दूरी पर है।

बाया वायु मार्ग

विंध्याचल का नजदीकी हवाई अड्डा लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट वाराणसी है जोकि 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

आशा करता हूं कि विंध्याचल पर्वत में विराजमान मां विंध्यवासिनी देवी के दर्शन की संपूर्ण जानकारी आपको मिल गई होगी अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ फेसबुक में जरूर शेयर करें और आपका कोई सवाल हो हमें नीचे कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं।

आपकी यात्रा को सुखद सफल और मंगलमय बनाने की makebharat.com पूर्ण कामना करता है ।

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