मध्यप्रदेश में स्थित विजयासन माता का मंदिर के बारे में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो इससे बाक़िफ़ नहीं होगा सलकनपुर देवी धाम के नाम से मशहूर यह स्थान सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्द है जो भोपाल से महज 75 और होशंगाबाद से 35 किलोमीटर दूर सिहोरे जिला में स्थित है ।
धार्मिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र होने की बजह से यहाँ साल भर श्रद्धालु मनवांछित इक्षा पूर्ती के लिए विजयासन माता के इस पावन धाम में माथा टेकने आते है ।
आगे आप इस लेख में आप जानेगे सलकनपुर माता मंदिर के दर्शन करने की पूरी जानकारी जैसे - सलकनपुर कैसे जाये , कब जाये , वहां रुकने और खाने की क्या व्यवस्था है , सीढ़ियों से जाये या रोपवे से जाये और अंत में जानेंगे सलकनपुर माता दर्शन में कुल खर्च क्या लगेगा , सलकनपुर मंदिर का इतिहास क्या है इन सभी सबलो के जबाब आपको इस लेख में मिल जायेगा ।
धार्मिक दृष्टि से सिहोरे जिले का salkanpur ka mandir यहाँ का सबसे प्रसिद्द स्थान है । माता दुर्गा के इस धाम में जिस प्रकार मैहर माता में होती है ठीक उसी तरह से नवरात्री के पावन अवसर पर यहाँ आने बाले श्रद्धालुओं की गिनती लाखो में पहुंच जाती है जाती है ।
सलकनपुर वाली माता का यह मंदिर विंध्यांचल पर्वत की श्रंखला में जमीन से लगभग 1 हजार फिट ऊँचे पहाड़ में स्थित है।
इसीलिए इन्हे विंध्यवासिनी माता के नाम से भी जाना जाता है दर्शनार्थियों की ऐसी मान्यता है की विन्ध्याबासिनी धाम किसी शक्ति पीठो से कम नहीं है इसका उतना ही महत्त्व है जितना शक्तिपीठ का होता है ।
मंदिर के गर्वगृह में माता पारवती अपने पुत्र भगवान गणेश को गोंद में लेकर विराजमान है इनके अलाबा काल भैरव माता सरस्वती और दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गयी है ।
इसीलिए इस पावन धाम में जाने से कई देवी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है जो इसेअपने आपको एक अलग पवित्र धाम बानाता है ।
सकलपुर मंदिर की महिमा
माँ विजयासन का यह धाम बहुत ही चमत्कारिक है यहाँ आने बाला हर कोई भी भक्त खाली हाँथ नहीं लौटता ऐसी भी मान्यता है सच्ची भक्ति भाव से की गयी पूजा अर्चना से देवी बहुत ही प्रसन्न होती है उनकी मनवांछित इक्षा का वरदान के साथ अपनी भक्ति प्रदान करती है देती है।
कोई भी सुबह कार्य करने से पहले आस पास के जिलों के लोग यहाँ सबसे पहले माता को न्योता देते है टॉस्क बाद अपने मांगलिक कर करते है यहाँ मुंडन करने के लिए भी प्रसाशन द्वार व्यबस्था की गयी है।
सलकनपुर का मंदिर खुलने का समय
वैसे तो सलकनपुर टेम्पल साल भर खुला ही रहता है लेकिन मंदिर की स्वक्षता को ध्यान में रखते हुए पुजारियों द्वारा भक्तो के लिए सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक ही खोला जाता है लेकिन नवरात्री के समय इस टाइम को बदलकर सुबह 4 बजे से शाम रात्रि 12 बजे तक कर दिया जाता है ।
सलकनपुर मंदिर में कितनी सीढिया है
विंध्यवासिनी माता के दर्शन करने के लिए भक्तो को 1400 से भी ज्यादा सीढिया चढ़कर मंदिर तक पहुंचना होता है पूरी श्रद्धाभाव से दर्शनार्थी माँ दुर्गा के नारे लगाते विजयासन मंदिर तक बड़े आसानी से पहुंच जाते है और माता की महिमा के कारण उन्हें बिलकुल भी थकान महसूस नहीं होती ।
विजयासन माता मंदिर तक पहुंचने के साधन
भक्तो की आराधन को देखते हुए सिहोरे पर्यटन मंदिर ट्रस्ट के द्वारा यहाँ यात्रियों के लिए 3 तरह की सुबिधाये बनायीं गयी है जिनमे
- सीढिया- यदि आप सीढिया चढ़कर दर्शन करने के लिए जाते है तक आपको 1400 सीढ़ी चढ़ानी होगी तब जाकर मंदिर तक पहुंच पाएंगे
- रोपवे- सलकनपुर टेम्पल में भक्तगण की अपार श्रद्धा को देखते हुए सरकार ने यहाँ पर रोपवे या उड़नखटोला की व्यवस्था की गयी है जिसका आने जाने का कुल चार्ज – 150 रूपए होता है
- बया रोड- अगर बाइक या कार से मंदिर तक पहुंचना चाहे तो इसके लिए रोड की सुबिधा बनायीं गयी है जो ४ किलोमीटर पहाड़ में घुमावदार रास्ते बनाये गए है जिसका सफर काफी सुहाना होता है .
सलकनपुर मंदिर का इतिहास
सीहोर जिला में विंध्यांचल पर्वत की श्रेढियों में स्थित विजासन माता का मंदिर जो प्रसिद्द है सलकनपुर वाली माता के नाम से इनका इतिहास बहुत ही रोचक है ।
पुराणों के अनुसार युगो पूर्व यहाँ एक रक्तबीज नामक राक्षस हुआ करता था जो अपने तपोवल से देवताओं को प्रसन्न करके एक ऐसा बरदान प्राप्त कर लिया की पृथ्वी में उसका खून जहां गिरेगा वहां वहां एक रक्तबीज और राक्षस तैयार हो जायेगा ऐसे ही लाखो सेना बना लिया जिससे बहुत ही शक्तिशाली होगा ।
वह राक्षस अपने शक्ति से ऋषिमुनियों और देवताओं को परेशान करने लगा जिससे माता दुर्गा ने पृथ्वी लोग में आकर उसे जलती हुयी मशाल से जला दिया और उसके शरीर से निकले हुए खून को स्वयं ग्रहण कर लिया।
इसलिए रक्तबीज के नाम से ही विजयासन वाली मैया का नाम पड़ा विजयासन (यानि विजय प्राप्ति के बाद वही पर आसान ) तभी से मैया यहाँ विराजमान होकर अपने भक्तो की सेवा कर रही है यहाँ पर जो मूर्ती है वो उसी राक्षस के ऊपर विराजमान है।
- इस मंदिर का अस्तित्व आदिमानव काल से मिलता है लेकिन प्राचीन समय में ११ वी शताब्दी में सर्बप्रथम गोंड राजयो के द्वारा इसका निर्माण किया गया ।
- लगातार पांच सौ बर्षो से सलकनपुर वाली माता के इस धाम में सूर्य और चन्द्रमा के प्रतीक के लिए जोति जल रही जो कभी नहीं बुझने पाती ।
Salkanpur ka mandir जाने का सही समय क्या है
- बता दू की वैसे तो इस धाम में साल भर भक्तो का आवागमन चलता रहता है लेकिन नवरात्री के समय आने बाले दार्शनियो की संख्या लाखो में होती है और इस समय यहाँ काफी भव्य मेला भी लगता है ।
- सलकनपुर धाम जाने के लिए ऑक्टूबर से अप्रैल तक का समय सबसे बेस्ट होता है क्योंकि उस समय गर्मी नहीं होती जिस्सके कारण सीढ़ियां भक्तगणों को चढ़ने में तकलीफ नहीं होती ।
- यही अगर आप गर्मियों में सलकनपुर दर्शन के लिए जाते है यब उस समय भीषण गर्मी होती है जिससे चढ़ाई चढ़ने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है ।
विजयासन माता के मंदिर की शेर करता है पूजा
स्थानीय लोगो की ऐसी मान्यता है माता दुर्गा के विजासन धाम में उनकी परिक्रमा करने के लिए शेर आता है जो अदृश्य रूप में उनकी सेवा करता है ।
प्राचीन काल के इस मंदिर के आस पास जंगल हुआ करता था बदलते हए ज़माने और लोगो की श्रदा भक्ति ने उसे धीरे धीरे विकास की बजह से यहाँ अब जंगली एरिया बहुत कम हो गया है ।
सलकनपुर मंदिर कैसे पहुंचे
सल्कनपुर के मंदिर तक पहुंचने के लिए बहुत ही आसान है क्योंकि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल शहर से इसकी दूरी मात्रा 75 किलोमीटर है ।
- बया ट्रैन – रेलगाड़ी से पहुंचने बाले बाले श्रद्धालुओं के लिए सलकनपुर धाम का निकटतम रेलवे स्टेशन होशंगाबाद है जहाँ हर जगह से रेलगाड़िया आती है यदि आपके शहर से डायरेक्ट ट्रैन नहीं है तो भोपाल आकर होशंगाबाद के लिए ट्रैन पकड़ सकते है जो होशंगाबाद से मात्रा 35 किलोमीटर का सफर बस या टैक्सी के माध्यम से करना पड़ेगा ।
- हवाई यात्रा – अगर हम एयरपोर्ट की बात करे तो सलकनपुर वाली माता विंध्यवासिनी धाम में कोई एयरपोर्ट नहीं है लेकिन भोपाल पास होने की बजह से भक्तो को इसकी कमी जरा भी महशूस नहीं होती क्योंकि वहां राजा भोज एयरपोर्ट मौजूद है जो भारत के प्रमुख शहरो से नियमित उड़ाने होती है ।
सलकनपुर में कहाँ रुके
- दोस्तों अगर आप सलकन पुर धाम की यात्रा पर जा रहे है और वहां एक दिन रुककर दर्शन करने की सोच रहे है तो मै आपको बता दू इसके पास धर्मशालाए बनी हुयी है जहाँ आप चाहे तो ठहर सकते है ।
- लेकिन अगर होटल में रुकना चाहते है तब आपको होशंगाबाद में होटल बुक करना चाहिए जो मंदिर से महज आधा घंटे की दूरी पर पड़ता है होशंगाबाद शहर में बस स्टैंड के पास कई होटल मिल जायेंगे जिनका किराया 800 से लेकर 1500 प्रतिदिन का चार्ज किया जाता है.
- अगर हम खाने पीने की व्यवस्था की बात करे तो जिस जगह आप होटल बुक कर रहे वहा से खाना आर्डर कर सकते है अन्यथा बाहर से 100 से 150 रूपए थाली में बहुत ही स्वादिष्ट भोजन मिल जाता है ।
सलकनपुर जाने का खर्चा क्या लगेगा
दोस्तों अगर आप सलकनपुर की यात्रा में 1 दिन का रुकने का प्लान बनाते है और 2 लोग है तो होटल का चार्ज लगभग 1 हजार रूपए जो इससे भी सस्ते मिल जाते है लेकिन मै 1 हजार मानकर चल रहा हु
इसके साथ खाने का 500 रूपए में तीन टाइम प्रतिव्यक्ति और हशांगाबाद शहर से टैक्सी का किराया 50 रूपए पर व्यक्ति लेकर चलते है और सलकनपुर पहुंचकर यदि आप रोपवे से जाते है तो 150 रूपए उसका यानि की सब मिला कर 2300 रूपए में बड़े आसानी से दो लोग सलकनपुर देवी के दर्शन कर लेंगे ।
इसे राउंड फिगर करे तो 2 हजार में 2 लोग बड़े आसनी से सलकनपुर माता के दर्शन कर सकते है
लेकिन यह खर्चा मै होशंगावाद से सलकनपुर मंदिर का बता रहा हु आप जिस भी शहर से आ रहे है उसका खर्चा अलग होगा और यहाँ आकर जो भी प्रसाद देवी को चढ़ाते है वो सब अलग से लगेगा ।
मै आशा करता हु आपको सलकनपुर वाली माता के दर्शन हेतु पूरे सबलो के जबाब मिल गए होंगे अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो अपने चाहने बालो के साथ फेसबुक अवश्य शेयर करे
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