मध्यप्रदेश में रहकर उत्तरखंड के जैसे बेहतरीन प्राकृतिक और ऐतिहासिक मनोरम दृश्य देखना चाहते है तो पहुंच जाईये मांडू में घूमने की जगह देखने
जहा आपको मिलेगा एतहासिक धरोहर सुलतान और रानी रूपमती के प्यार की अमर कहानी जो आज भी मांडू के कोने कोने में गूँजती है और इसके अलाबा बादलो से ढके हुए पहाड़ जो आपको मंत्र मुग्ध कर देंगे ।
मालवा पठार के भीतर करीब 20 स्कॉयर किलोमीटर में बसा है एक अनमोल ऐतिहासिक धरोहर 37 किलोमीटर की दूरी में बने कंगूरे 12 प्रवेश द्वार
ये जगह है मिथको और कल्पना की ये जगह है प्यार और पराजय की मांडू जो मध्य प्रदेश में बसा एक खूबसूरत स्थान जहा पर्यटकों की लम्बी कतारे यहाँ के खूबसूरत दृश्य देखने के लिए लगी लगी रहती है ।
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मांडू का रहस्य और प्रेम कथा । history of mandu in hindi
मृथको के मुताबिक करीब 450 बर्ष पहले मालवा के आख़िरी सुल्तान मिया बाइज्जत बाज बहादुर खान एक दिन शिकार के निकले और वो संगीत और सुंदरता के बहुत दीवाने थे ।
उसी रोज उनकी मुलाकात उस हस्ती से हुयी जो उनकी जिन्दगी बदल दी एक गडरिया के बेटी रूपमती जो स्वरों की मल्लिका थी सुलतान ने उसे देखा तो बस देखत रह गए ।
उन्होंने ने ऐसा कुछ नहीं किया जो रूपमती को गलत लगे सुलतान होने के नाते वो उस गडरिया की बेटी से बड़े धूम धाम से व्याह रचाया ।
मुग़ल बादशाह अकबर अपनी सल्तनत बढ़ाने के लिए हर जगह कब्ज़ा जमा रहा था और अब उसकी नजर थी बाज बहादुर के मालवा पर
यही परवान चढ़ी थी राजा बाज बहादुर की प्रेम कथा लेकिन हर प्रेम कहानी की तरह इस प्रेम कहानी में भी रुकाबट तो आनी ही थी मांडू पर मंडराया जंग का साया का साया ।
मांडू छोड़ने से पहले सुल्तान रानी रूपमती से मिलने आये लेकिन प्रेम के इन पंछियो को कहा मालूम था की इनका अब ये अंतिम मिलन है ।
जब बाज बहादुर जंग के लिए निकले तो रूपमती के दिल में उम्मीद थी और आँखों में इंतजार क्योंकि उनका भविष्य सुल्तान के जीत और हार पर ही निश्चय होने बाला था।
मार्च 1561 मांडू के इस खूबसूरत किले में कत्ले आम की गूँज चीखने लगी अकबर के सिपाही सलाहकार ने बाजबहादुर को हरा दिया था इसके बाद उसकी नजर रानी रूपमती पर थी और वो रानी को ढूढ़ते हुए मांडू किला पहुंच गया ।
इस शहर के लोग अब आदमख़ाँ के रहम पर निर्भर हो गए थे मगर रानी तो कुछ और सोच बैठी थी ।
उसका प्यार इस खूबसूरत भरी दुनिया को अलविदा कह चूका था और अब जान से प्यारी इज्जत इसीलिए रूपमती ने जहर खा कर अकबर को पराजित कर दिया मालवा अब छीन चूका था मगर वो जालिम आदमख़ाँ के हाँथ नहीं लगना चाहती थी ।
दो प्यार के दीवानो की मिलने और बिछड़ने की गूँज आज भी मांडू के किला के भीतर सुनाई देती है
मांडू में घूमने की जगह । Mandu me ghumne ki jagah
मांडू में घूमने के लिए पहुंचते ही यहाँ के बिशाल दरवाजे आपका स्वागत करते है 5 किलोमीटर के दायरे में लगभग 12 प्रवेश द्वार निर्मित है इनमे सुल्तान या दिल्ली दरवाज प्रमुख है । तो आईये जानते है मांडू में घूमने की प्रमुख जगह और मांडू पर्यटन स्थल में बारे में –
रानी रूप मती महल

बाज बहादुर शाह से रानी रूपमती सुलतान से विवाह इस शर्त पर की थी की वो जीवन भर अपना धर्म कभी नहीं छोड़ेगी । तभी तो रानी को एक ऐसी जगह चाहिए थी जो हर सुबह माँ नर्मदा की पूजा अर्चना कर सके ।
और बाज बहादुर ने उनकी ये ख्वाइस इस पवेलियन से पूरी की विवाह करने के बाद सुलतान ने अपनी बेगम के लिए कई महल बनबाया जो मांडू के दुर्ग में स्थित है।
और माण्डव दुर्ग में से एक सबसे बड़ा महल सुल्तान ने अपनी बेगम के लिए बनबाया था जो 300 मीटर ऊँचे पहाड़ पर स्थित है ।
इस खूबसूरत महल से रूपमती नर्मदा नदी के सौंदर्य मरोराम दृश्य देखती थी । पहाड़ी के ऊपर पहुच कर रूपमती महल के नर्मदा नदी का मनोरम दृश्य और दुर्ग के चारो तरफ का शानदार दृश्य दिखाई पड़ता है ।
बाज बहादुर किला
रानी रूपमती पवेलियन के एकदम सामने बना इस ऐतिहासिक किला को 1508 में मालवा के पिछले सुल्तान ने बनबाया लेकिन बाजबहादुर ने इसे अपना महल बना लिया ।
ये शानदार किला राजपूत का बेजोड़ नमूना हुआ करता था जिसके बीचो बीच था एक बेहतरीन झील इसके उत्तरी बरामदे से दूर -दूर तक हरे भरे प्राकृतिक जंगल और खेतो की फसल नजर आती थी । और दक्षिण में रानी रूपमती पवेलियन ।
Natural View Point
मांडू पर्यटन में जाने के बाद आपको देखने को मिलेगा प्राकृतिक परिदृश्य जहा प्रकृति के खूबसूरत वादियों को देख कर आपको एक अलग ही अनुभव मिलेगा
मांडू का मुख्य आकर्षण पर्यटन केंद्र यही स्थान है जहा से आप मांडू की प्राकृतिक खूबसूरती का मनमोहक दृश्य देख पाएंगे।
यहाँ पहुंचकर मांडू में बदलो को अपने इतना करीब से देख पाएंगे जो आपने इससे पहले उत्तराखंड में देखेंगे होंगे ।
जहाज महल

जहाज के आकर में बने आलिशान महल जो चारो तरफ पानी से घिरा हुआ है।
इसका निर्माण आज से 700 साल पहले गयाजुद्दीन खिलजी ने करवाबय था इस महल के दोनों तरफ तालाब है जब मानसून में ये भर जाते है तो ये बाकई में जहाज के जैसे दिखाई देते है
इसको बनाने का मुख्य उद्देश्य रहा होगा भीषण गर्मियों से बचने के लिए और ठंडी हबायो के लिए बनाया गया था लाल पत्थर से बने इस महल की 4 मंजिलो में से 2 मंजिल भूमि के नीचे है ।
इसमें बहुत से फब्बारे और होज है जो महल को ठंडा रखते थे ।
यह जगह मांडू में घूमने की प्रसिद्द जगहों में से एक है जहाजमहल जहाज की तरह दिखने बलि ऐतिहासिक कपूर तालाब और मूज तालाब के बीच बनी खूबसूरत ईमारत है ।
इसका निर्माण 15 वी शताब्दी में हुआ था और इसे थोड़ी दूर से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है की दोनों तालाब के बीच में मानो जहाज लंगर लेकर खड़ा है । इसीलिए इसे जहाजमहल नाम मिला ।
यहाँ कई ऐसी जल संरचना मौजूद है जो दुनिया भर मे मांडू को अलग पहचान दिलाती है
हिंडोला महल

खूबसूरत हिंडोला महल जिसकी दीवारे तिरछी है इसके अंदर के खूबसूरत नज़ारे गवाह है की यहाँ कभी रौनक रही होगी
शाही परिषर में सबसे सुन्दर और मांडू पर्यटन स्थल में फेमस जगह हिंडोला महल बाकि महलो से बिलकुल अलग है क्योकि इसकी दीवार झुकी हुयी है इसकी बनावट एक झूले के आकर की है ।
कहा जाता है की ये जगह बादशाह और बेगम की बैठने की जगह हुआ करती थी बादशाह ऊपर बाल्कनीमें बैठा करते थे मगर बेगम ठीक सामने दूसरी बालकनी में बैठती थी ।
कहा ये भी जाता है की अपनी अपनी बालकनी में हाथी और पालकी से पहुंचते थे ।
जल महल मांडू
मालबा पठार के पर्वत में जहाज महल के पास में स्थित मांडू में घूमने की जगह जल महल जहा पर्यटकों को कई झीलों अथवा तालाब का समूह देखने को मिलता है जो लोगो को मंत्र मुग्ध कर देती है ।
रेवा कुंड
कहते है की मांडू के 15 वी शताव्दी के सुलतान बाज बहादुर ने इस कुंड का निर्माण इसलिए करबाया था ताकि उनकी बेगम रूपमती यहाँ आकर पूजा अर्चना कर सके क्योंकि रूपमती हिन्दू थी।
और बजबहदुर मुश्लिम थे लेकिन रानी ने उनसे विवाह करने के उपरांत एक शर्त रखी थी की वो अपना धर्म परिवर्तन नहीं करेंगी और फिर ऐसा ही हुआ इसीलिए इस कुंड को बनवाया गया था ।
चंपा बाबड़ी
मांडू के पहले मुस्लिम शाशक दिलबर खान के मस्जिद के सामने एक खूबसूरत बाबड़ी है । इतिहास करो की मनो तो इस बाबड़ी के पानी से चंपा के फूलो की तरह मनमोहक खुशबु आती थी इसीलिए इस बाबड़ी को चंपा बाबड़ी भी कहते है ।
इस बाबड़ी का महल के संरक्षक के लिए तथा जल संरक्षण के लिए भी इसका योगदान हुआ करता था । आपातकालीन स्थिति में शाही परिवार के सदश्यो को इन्ही रस्ते से सुरक्षित स्थान में ले जाया जाता था ।
तो जब भी आप मांडू के पर्यटन स्थल घूमने जाये तो यहाँ की चंपा बाबड़ी देखने अवश्य पहुंचे और इस बेहतरीन स्थान को यहाँ की यादो में शामिल करे ।
अशर्फी महल
इस महल का नाम अशरफी रखने के पीछे एक दिलचस्प रहस्य है कहा जाता है की गयासुद्दीन खिलजी ने अपनी बेगमो का मोटापा कम करने के लिए इस महल की सीढ़ियों में चढ़ने और उतरने को कहा था और हर सीढ़ी के बदले उन्हें एक सोने का सिक्का यानि की अशर्फी देने का वादा किया था ।
मांडू दुर्ग में बनने बाले हर किला को बनाने में छुपा है एक दिलचस्प कहानी ऐसी ही एक कहानी है अशर्फी महल की जो मांडू के मशहूर जामी मस्जिद के ठीक सामने दूसरी तरफ स्थित है ये महल जो अपने अंदर मांडू के बहुत से राज छुपाये बैठा है ।
इस स्मारक को बनाने में लाल पत्थरो का इस्तेमाल किया गया है कालांतर में इस महल को फिर से निर्माण करवाया गया और इसके के अगले हिस्से और आँगन को महमूद खिलजी की कब्र के लिए घेर लिया गया ।
जहा आज के आधुनिक युग में मांडू पर्यटन स्थल के रूप में मांडू में घूमने की जगह को देखने दूर- दूर से पर्यटक इस ऐतिहासिक प्रेम कथा को जानने के लिए मांडू घूमने आते है ।
रूपायन संग्रहालय
मांडू के इस संग्रहालय में विज्ञानं , कला और शिल्प इतिहास को दर्शाया जाता है मांडू के स्थानीय लोगो के द्वारा उपयोग किये जाने बाले जो यहाँ के लोगो को बेहतर बनाते है ।
इसके अलाबा संग्रहालय में मांडू राजबंशो के द्वारा उपयोग किये जाने बाले हथियार तथा उनके रहन सहन के वातावरण को प्रदर्शित करता है ।
बाग़ गुफाये
मांडू पर्यटन के समीप ही स्थित बाग़ गुफाये पर्यटकों के पसंदीदा जगह है जहा आप जाकर देख पाएंगे प्राचीन समय में चट्टानों को काटकर किस प्रकार से गुफा को तैयार किया जाता था ।
और साथ में यहाँ पर मौजूद गुफाओं में 9 गुफा का समूह है जो बौद्ध धर्म को समर्पित है
जमी मस्जिद
होशंगशाह शाह के शाशन में निर्मित यह मस्जिद सैकड़ो खम्भों में खड़ी है जो अपने आप में एक भव्य मस्जिद है इसकी खूबसूरती मांडू के दुर्ग में शामिल है।
कहा जाता है की ताजमहल के कुछ शिल्पकार इसके निर्माण में उपलब्ध थे और इसे बनाया गया है मार्वल की चट्टानों से तो आप जब भी मांडू घूमने का प्लान करे तो अपने लिस्ट में जामी मस्जिद को शामिल जरूर करे । इसका स्ट्रक्चर ताज महल से मिलता जुलता है ।
होशंगशाह का मकबर
जमी मस्जिद के भीतर ही मौजूद होशंगशाह का मकबरा पहुंचने के लिए मस्जिद के भीतर से सकरी गलियारों से गुजरते हुए पर्यटक पहुंच जाते है मांडू दुर्ग में स्थित एक और धरोहर को देखने जहा उन्हें मिलता है
होशंग शाह का मकबरा जो ताजमहल के शिल्पकारों ने मिलकर बनाया था इसी बजह से कुछ -कुछ ये मकबरा भी ताज के जैसा लगता है ।
यहाँ पर आपको ब्लैक और वाइट का कॉम्बो देखने को मिल जायेगा एक तरफ जामी मस्जिद जो ब्लैक रंग की है और ठीक दुसरे तरफ होशंगशाह का मकबरा जो संगमर -मर से निर्मित है ।
हांथी महल
मांडू बस स्टॉप से सिर्फ 2 किलोमीटर की दूरी पर है हाथी महल में अनेक विशाल स्तम्भ है इसी बजह से इसे इसका नाम दिया गया
लाल रंग में बना यह मकबरा काफी दूर से ही पर्यटकों को आकर्षित करता है
यह एक गौरव शैली ईमारत है जो इतिहस के पन्नो में अमिट हो चुकी है इसलिए तो मध्यप्रदेश में पर्यटकों को ये जगह काफी पसंद आती है
मांडू में हाथी महल की खूबसूरती देखन एक लिए कम से कम 2 घंटे का समय निकाल कर जाये तभी इसे ठीक तरह से घूम पाएंगे ।
कारवां सराय
मांडू में राज्य करने बाले राजा महाराजा युद्ध के लिए अनेको नेक घोड़े ,हांथी, ऊंट रखा करते थे और उनको जिस सुरक्षित स्थान में बाँधा जाता था वो करवा सराय के नाम से जाना जाता है जो एक बेहद बिशाल सराय है ।
यदि आप मांडू घूमने का प्लान कर रहे है तो समय निकल कर इस जगह को देखने जा सकते है ।
दाई का महल
मांडू के ऐतिहासिक गाठो में शामिल ये जगह पर्यटकों की पसंदीदा ऐतिहासिक धरोहर है जो मांडू के राज परिवार में जन्म लेने बाले बच्चो को पालने बाली दाई के लिए बनवाया गया था । मांडू घूमने आने बाले पर्यक यहाँ जरूर विजिट करते है ।
saat kothari mahadev mandir
गुफा के अंदर स्थित भगवान् शिव को समर्पित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए सकरी रास्ते से गुजरते हुए पर्यटक इसके भीतर प्रवेश करते है । जहा उन्हें भगवान शिव के दिव्य दर्शन प्राप्त होते है
यहाँ पर आपको प्रकृति का एक अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा जो की झरने के रूप शिव की प्रतिमा पर हमेशा पानी की धार बहती रहती है प्रकृति का ये मनोरम दृश्य आपको मनमोहित कर देगा।
प्राकृतिक गुफा के भीतर झरने का पानी गर्म रहता है और गुफा से बाहर बहता झरने का पानी काफी ज्यादा ठण्ड होता है ।
जब भी आप मांडू घूमने का बिचार करे तो अपने घूमने की जगह में इस स्थान को जरूर शामिल करे ।
मांडू घूमने कब जाये
दोस्तों अगर आप माण्डव घूमने के लिए सोच रहे है तो बता दू की यहाँ जाने का सबसे अच्छा समय बारिश का होता है जिससे आपको प्रकृति की वादियों में बदलो को बहुत करीब से देखने का मजा ही कुछ और होता है ।
वैसे तो मांडू घूमने किसी भी मौसम में जा सकते है पर बरसात के दिनों ही यहाँ के प्राकतिक सौंदर्य को अच्छे से देख पाएंगे ।
मांडू कैसे पहुंचे
यदि आप मांडू में घूमने की जगह देखने का सोच रहे है और माण्डव पर्यटन तक पहुंचने के लिए सबसे निकटतम एयरपोर्ट इंदौर है जहा से 98 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है ।
यदि ट्रैन के द्वारा सफर कर के जाना चाहते है तो तो माण्डव स्टेशन के नाम से मांडू का स्टॉप है। रोड से सफर करना चाहे तो ये स्थान हर जगह से अच्छी रोड फैसिलिटी से जुड़ा हुआ है ।
यह भी देखे :-
2021 में इंदौर घूमने की जगह । indore me ghumne ki jagah
Faq Realated mandu – मांडू – पूछे जाने बाले प्रश्न
Q-1 मांडू का किला किसने बनबाया
बाज बहादुर ने अपनी बेगम रूपमती की ख्वाइस पूरी करने के लिए सुलतान ने अपनी बेगम के लिए कई महल बनबाया जो मांडू के दुर्ग में स्थित है।
और इन्ही दुर्ग में से एक सबसे बड़ा महल सुल्तान ने अपनी बेगम के लिए बनबाया था जो 300 मीटर ऊँचे पहाड़ पर स्थित है ।
Q-2. मांडू का इतिहास
मुग़ल बादशाह अकबर अपनी सल्तनत बढ़ाने के लिए हर जगह कब्ज़ा जमा रहा था और अब उसकी नजर थी बाज बहादुर के मालवा पर
मांडू छोड़ने से पहले सुल्तान रानी रूपमती से मिलने आये लेकिन उनको कहाँ पता था की ये प्रेम कहानी का आखिरी समय चल रहा है प्रेम के इन पंछियो को कहा मालूम था की इनका अब ये अंतिम मिलन है ।
Q-3.मांडू की प्रसिद्द इमारते कौन है
1.रानी रूप मती महल
2.बाज बहादुर किला
3.जहाज महल
4.हिंडोला महल
5.हांथी महल
Q-4.मांडू का रहस्य और प्रेम गाथा
मृथको के मुताबिक करीब 450 बर्ष पहले मालवा के आख़िरी सुल्तान मिया बाइज्जत बाज बहादुर खान एक दिन शिकार के निकले और वो संगीत और सुंदरता के बहुत दीवाने थे ।
उसी रोज उनकी मुलाकात उस हस्ती से हुयी जो उनकी जिन्दगी बदल दी एक गडरिया के बेटी रूपमती जो स्वरों की मल्लिका थी सुलतान ने उसे देखा तो बस देखत रह गए ।