भारत में जम्मू कश्मीर राज्य के कटरा नगर में स्थित त्रिकूट पर्वत पर एक गुफा है जहां मां वैष्णो देवी विराजमान है इस दुर्लभ यात्रा को करने के लिए भले ही 13 किलोमीटर की लंबी चढ़ाई करनी पड़ती हो लेकिन देश भर में मौजूद सभी मंदिरों में सबसे ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने हैं इसी धाम में आते हैं।
नमस्कार प्रिय पाठकों आगे इस लेख में हम आपको वैष्णो देवी से जुड़ी सभी जानकारी जैसे- वैष्णो देवी यात्रा के नियम क्या है ? कब जाना चाहिए ? कैसे जाएं ? वहां रुकने तथा खाने-पीने की क्या व्यवस्था है ? वैष्णो देवी यात्रा में कुल खर्च कितना लग सकता है आपको इन सभी सवालों के जवाब ऑन तक मिल जाएंगे
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वैष्णो देवी कब जाना चाहिए ?
अगर आप ज्यादा भीड़ भाड़ से बचना चाहते है तो नवरात्री वाले सीजन छोड़ दीजिये क्योंकि दोनों नवरात्री में माता वैष्णो देवी में बहुत ज्यादा भीड़ होती है और दूसरा ये की बरसात के महीने में आने का प्रयास न करे क्योंकि बारिश और लैंड स्लइड परेशानी का सबब बन सकती है इसके अलाबा आप किसी भी मौसम में वैष्णो देवी की यात्रा कर सकते है ।
वैष्णो देवी रजिस्ट्रेशन कैसे करें?
- वैष्णो देवी यात्रा के दौरान सभी यात्रियों को रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होता है जो की कटरा रेलवे स्टेशन के बाहर बने यात्री पर्ची काउंटर से निशुल्क पंजीयन निकलवा सकते हैं।
- दूसरा और सबसे अच्छा बिकल्प है आप खुद से माँ वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की official website में जाकर यात्रा पर्ची ले सकते है ये दोनों माध्यम बिकल्प निःशुल्क होते है
वैष्णो देवी यात्रा के नियम
अगर आप वैष्णो देवी यात्रा में जा रहे है तो कुछ बातो का ध्यान में रखें अन्यथा दर्शन से बांछित हो सकते है ।
- वैष्णो देवी दर्शन के उपरांत आपको यात्रा पर्ची अपने साथ रखना अनिवार्य है जो की कटरा पहुंचकर रेलवे स्टेशन के बहार से निःशुल्क बनता है .
- अन्यथा आप चाहे तो वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की ऑफिसियल वेबसाइट https://maavaishnodevi.org/ से निःशुल्क यात्रा पर्ची ले सकते है.
- यात्रा करने से पहले आप सुनिश्चित कर ले की आपके कोविड- 19 की दोनों डोज लगी है या नहीं अगर नहीं लगी तो जरूर लगवा ले
- यात्रा के दौरान यात्रियों को मास्क लगाना अनिवार्य है.
वैष्णो देवी में रुकने की क्या व्यबस्था है ?
वैष्णो देवी धाम आने वाले यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए श्राइन बोर्ड की तरफ से कटरा तथा अर्ध कुमारी में धर्मशाला और ट्रस्ट बनाए गए हैं जहाँ आप अपनी ठहरने की ब्यबस्थ बना सकते है इसकी ऑनलाइन बुकिंग श्राइन बोर्ड की वेबसाइट से कर सकते है ।
श्राइन बोर्ड के सभी कमरे फुल हो जाने पर वैष्णो देवी ट्रस्ट की तरफ से अर्धकुमारी में शेयरिंग हाल बना हुआ है जहां रिफंडेबल ₹100 जमा करने पर एक गद्दा और कम्मल दिया जाता है जहां आसानी से विश्राम कर सकते हैं.
इसके अलावा हर जगह की तरह यहां भी हर बजट के प्राइवेट होटल कटरा स्थित देखने के लिए मिल जाएंगे जहां आप अपने बजट के अनुसार रुकने की व्यवस्था कर सकते हैं ।
वैष्णो देवी यात्रा के दौरान अपने सामान कहा रखे?
यात्रा के समय अर्द्धकुवारी तक अपने साथ सामान ले जा सकते हैं वहां लॉकर की सुविधा उपलब्ध है जिसमे अपने जूते चप्पल और बैग रख रकते है और उस लाकर की चाबी आपको दे दी जाती है ।
वैष्णो देवी दर्शन कैसे करे ?
दोस्तों वैष्णो देवी भवन की जो गुफा है वो बहुत ज्यादा संकीर्ण है इसकी बजह से श्रद्धालुओं को ग्रुप में भेजा जाता है जिसमे एक बार में 10 लोग ही गुफा के आनद जाते है । इसके लिए श्रद्धालुओं को अर्धकुमारी में ही टोकन दिया जाता है नंबर आने में 6 से 8 घंटे लग जाते है वही अगर आप नवरात्री के समय आते है तो आपका नंबर आने तक 12 घंटे भी लग जाते है ।
अगर आपका नंबर आने में 4 से 6 घंटे टाइम लगता है तो आप अर्द्धकुवारी में रुककर दर्शन करिये उसके बाद माता के भवन के लिए प्रस्थान करिये ।
जानकारी के लिए बता दू अर्द्धकुवारी में दर्शनर्थियो को रुकने के लिए ट्रस्ट की तरफ से रूम बने हुए है जहाँ ठहर सकते है ।
वैष्णो देवी में कहाँ कहाँ दर्शन करे ?
अब बात करे अगर वैष्णो देवी में घूमने की तो आप इन जगह पर जा सकते है – जो की भवन के रास्ते में पड़ती है –
1. भवन
माँ वैष्णो देवी जहाँ विराजमान है उस स्थान को भवन कहा जाता है और इसी भवन में तीन माताओं की पिंडियां है जो लक्ष्मी , सरस्वती और काली की है और माँ वैष्णो देवी अदृश्य रूप में वहां विराजमान है ।
2. अर्द्धकुवारी
अर्द्धकुवारी वो जगह है जहाँ माता ने 9 महीने गर्वगृह में रहकर घोर तपस्या की थी और उसके बाद भैरव नाथ का वद्ध कर दी थी और गर्व गृह के बहार हनुमान जी 9 माह तक खड़े रहकर माता की रक्षा किये थे यह स्थान यात्रा मार्ग पर ही स्थित है ।
3. बाणगंगा
9 माह गर्व गृह में रहने के पश्चात् जब माता गुफा से बाहर आयी थी तब अपने स्नान के लिए धनुष लेकर पर्वत में बाण से भेद किया था और वहां से स्वक्ष जल बहने लगा और यही पर माता ने स्नान किया था और आज के समय में इसी स्थान से वैष्णो देवी की यात्रा शुरू होती है ।
4. भैरव नाथ मंदिर
वैष्णो देवी जाएं और भैरव नाथ की यात्रा ना करें तो अधूरी मानी जाती है क्योंकि देवी ने उन्हें वरदान दिया था कि जो भक्त मेरे दर्शन के लिए आएगा वह उसकी आदत अभी पूर्ण मानी जाएगी जब आप भैरवनाथ दर्शन करने के लिए जाएगा ।
भैरव के अभद्र ब्यबहार करने पर माता देवी क्रोध में आकर अपनी त्रिशूल से बद्ध करके उन्हें पर्वत में फेक दिया था और आज वही पर एक मंदिर का निर्माण हो चूका है जहाँ दर्शनार्थी जाते है ।
वैष्णो देवी कैसे पहुंचे ?
वैष्णो देवी धाम भारत के प्रमुख शहरों से रेल मार्ग तथा रोड मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है आइए जानते हैं
ट्रैन से वैष्णो देवी कैसे जाये ?
अगर आप वैष्णो देवी की यात्रा ट्रैन के माध्यम से करने का बिचार बना रहे है तो बता दू की इसका नजदीकी रेलवे स्टेशन कटरा है जो भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरो से रेल मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है ।
लेकिन यदि आपके शहर से डायरेक्ट कटरा के लिए ट्रैन नहीं तो दिल्ली पहुंचकर कटरा के लिए प्रस्थान कर सकते है क्योंकि दिल्ली से कटरा के लिए कई रेलगाड़ी प्रतिदिन चलती है ।
वायु मार्ग से वैष्णो देवी कैसे जाये ?
वैष्णो देवी जाने के लिए नजदीकी एयरपोर्ट पठानकोट है लेकिन अगर आपके शहर से यहां तक के लिए हवाई जहाज उपलब्ध नहीं है तो अमृतसर या चंडीगढ़ पहुंच कर कटरा के लिए रेल गाड़ी पकड़ सकते है ।
कटरा से ही वैष्णो देवी की यात्रा शुरू हो जाती है और कटरा से मात्र17 किलोमीटर की दूरी पर माँ वैष्णो देवी का भवन है ।
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कटरा से माँ वैष्णो देवी की यात्रा कैसे करे ?
वैष्णो देवी मंदिर में जाने बाले यात्री ज्यादातर कटरा से ही अपनी पैदल यात्रा शुरू कर देते है लेकिन अगर आप चाहे तो बाणगंगा या फिर ताराकोट मार्ग जो लगभग दोनों की दूरी कटरा से 4 किलोमीटर पड़ जाती है इस दूरी को आप ऑटो टैक्सी के माध्यम से तय कर सकते है फिर उसके आगे आपको पैदल यात्रा या घोड़े खच्चर से करनी पड़ती है ।
कटरा से वैष्णो देवी मंदिर जाने के लिए 2 रास्ते है
कटरा से ताराकोट या बाणगंगा लगभगग दोनों 4 किलोमीटर है वहां तक ऑटो टैक्सी लेकर जा सकते है उसके आगे का सफर आपको पैदल या घोड़े खच्चर ,पालकी से करनी पड़ेगी ।
- बानगंगा मार्ग – अगर आप घोड़े, खच्छर , पालकी से जाना चाहते है तो बानगंगा मार्ग आपके लिए बेस्ट है .
- ताराकोट मार्ग – पैदल यात्रा करके वैष्णो देवी मंदिर तक पहुंचने बाले यात्रियों के लिए ताराकोट मार्ग जाना सही बिकल्प होता है क्योंकि ये नया रास्ता है और रास्ते में आराम करने की भी सुबिधाये है इसमें 14 किलोमीटर की पग यात्रा करनी पड़ती है .
पैदल यात्रा के दौरान अगर आपके स्वस्थ में किसी प्रकार की तकलीफ होती है तो रास्ते में थोड़ी थोड़ी दूर पर मेडिकल सुबिधा उपलब्ध है जो की पूरी तरह से निःशुल्क होती है ।
वैष्णो देवी का जो मंदिर है उस स्थान को भवन कहा जाता है कटरा और भवन के बीच में एक जगह पड़ती अर्द्धकुवारी।
दोनों रास्ते में किसी रास्ते से जाये ये दोनों रास्ते अर्द्धकुवारी पहुंचते है
वैष्णो देवी हेलीकॉप्टर किराया
अगर हम 2022 की बात करे तो वैष्णो देवी में कटरा से सांचिछत तक हेलीकॉप्टर किराया का किराया 1730 रूपए प्रतिव्यक्ति एक बार का निर्धारित था लेकिन ये किराया हर समय ऊपर नीचे होता रहता है इसलिए आपको पहले से ही वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की ऑफिसियल वेबसाइट में ऑनलाइन चेक कर लेना चाहिए ।
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मां वैष्णो देवी का इतिहास
माँ वैष्णो देवी से जुडी एक पौराणिक कथा है हिन्दू महाकाव्यों के अनुसार माँ वैष्णो देवी का इतिहास त्रेता युग से जुड़ा हुआ और तभी यहाँ उनकी लोग पूजा अर्चना ब्भक्तो के द्वारा हो रही है।
माता वैष्णो देवी तीनो प्रमुख देविया – लक्ष्मी , पार्वती और सरस्वती जी का अंश है ।
वैष्णो देवी का जन्म धरती लोक में असुरी शक्तियों का विनास के लिए हुआ था इसीलिए वैष्णो देवी के पास तीनो देवियो की शक्तिया मौजूद है जो सम्पूर्ण ब्रम्हांड में सबसे शक्तिशाली है वो हमारी वैष्णो देवी है ।
वैष्णो देवी का जन्म त्रेता युग में दक्षिण भारत के रामेस्वरम में रत्नाकर सागर के घर हुआ था और उनका नाम त्रिकुटा रखा । इनके माता पिता हजारो बर्षो तक निःशंतान थे जब माता का जन्म हुआ तो इनका पालन पोषण में इनके पिता बहुत ध्यान से किया करते थे ।
जब त्रिकुटा मात्र 9 बर्ष की थी तो अपने पिता से समुद्र किनारे तपस्या करने की अनुमति चाही उनके पिता उनकी इक्षा स्वीकार कर उन्हें रामेस्वरम में समुद्र के किनारे जहाँ वो जाना चाहती थी वही छोड़ आये ।
तब त्रिकुटा ने भगवान व्रिष्णु की राम के रूप में जन्म लेने घोर तपस्या की
रामायण काल में जब सीता हरण के पश्चात् श्रीराम अपनी बानर सेना लेकर रामेस्वरम में समुद्र के किनारे पहुंचे वहां उन्होंने देखा की कोई कन्या ध्यान लगाए बैठी हुयी है जब उनके पास प्रभु गए तो त्रिकुटा ने उन्हें पहचान लिया की वो व्रिष्णु जी के अवतार है।
फिर त्रिकुटा ने भगवान राम से विवाह का प्रस्ताव रखी और उन्हें स्वीकार करने के लिए बोली तब श्री राम उनसे कहते है इस अवतार में मै सीता के प्रति निष्ठावान हु और उन्हें वचन दे चुका हु ।
फिर राम ने त्रिकुटा को आस्वाशन दिया की मै जब कलियुग में कल्कि अवतार में धरती लोक में पुनः जन्म लूँगा तब तुमसे विवाह अवश्य करूँगा ।
इस बीच श्री राम ने त्रिकुटा से कहा की तुम उत्तर भारत में माणिक पर्वतो की त्रिकूट श्रंखला की गुफा में बैठकर तपस्या करना और इस डाउन तुम्हारी रक्षा हनुमान जी करेंगे।
बाद में भगवान् राम ने त्रिकुटा से इनका नाम वैष्णवी कर दिया तभी से हम सब इन्हे वैष्णो देवी के नाम से जानते है ।
FAQ- वैष्णो देवी के बारे में पूछे जाने बाले प्रश्न ?
वैष्णो देवी किसकी पत्नी है ?
माँ वैष्णो देवी का विवाह नहीं हुआ है कारण यह है की त्रेता युग में श्री राम जी उन्हें आस्वाशन देकर गए है की वो कलियुग में जब कल्कि अवतार लेकर आएंगे तब माता वैष्णो देवी से अपना विवाह रचाएंगे और इसी आस में माता युगो से उनकी घोर तपश्या कर रही है ।
मां वैष्णो देवी किसकी पुत्री थी ?
तीन प्रमुख देवियो के (लक्ष्मी , सरस्वती और पार्वती) के अपार शक्ति से वैष्णो देवी को उत्पन्न किया गया और बाद में पृथ्वी लोक में आसुरी शक्ति के विनाश के लिए रामेस्वरम में रत्नाकर सागर के घर जन्म हुआ था ।
वैष्णो देवी में बर्फ कब गिरती है ?
माँ वैष्णो देवी धाम में हर वर्ष मैरी क्रिसमस यानि की 25 दिसंबर से लेकर जनवरी के अंतिम तक बर्फवारी अक्सर देखी जाती है और उस समय यहाँ का तापमान माइनस 5 डिग्री तक गिर जाता है ।
वैष्णो देवी किसका अवतार है?
वैष्णो देवी तीन देवियो का अवतार है लक्ष्मी , काली , और सरस्वती इसलिए वैष्णो देवी गुफा में तीन पिण्डिया है जो इन्ही देवियो का स्वरुप है ।
आशा करता हु माँ वैष्णो देवी यात्रा की जानकारी आपको अच्छी लगी होगी इस आर्टिकल को अपने दोस्तों को साथ फेसबुक इंस्टाग्राम में जरूर शेयर करे ।
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