उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रताप जिले में स्थित केदारनाथ के नाम से आप लोग जरूर बाक़िफ़ होंगे दोस्तों केदारनाथ यात्रा जाने की आप भी अगर प्लान बना रहे है तो ये लेख आपके जरूर काम आएगा ।
आज के इस लेख में आप जानेंगे केदारनाथ कैसे पहुंचे , केदारनाथ यात्रा कैसे करे , कहाँ रुके , कब जाये , और साथ में केदारनाथ जाने का खर्चा कितना होगा इन सभी प्रश्नो का जबाब आपको इस लेख में मिल जायेगा इसके लिए आपसे अनुरोध है की अंत तक पढ़े ।
और साथ ही साथ अगर आप पैदल यात्रा नहीं करना चाहते तो हेलीकप्टर से यात्रा की जानकारी और उसका खर्चा क्या होगा टाइमिंग क्या होगी और कहाँ से मिलेगा ।
केदरनाथ में 2013 में आयी आपदा की बजह से पहाड़ की विशाल चट्टान मंदिर में पीछे आकर स्थित हो गया था जिसकी बजह से बाढ़ के दौरान पानी की धार दो अलग अलग हिस्सों में बट गयी जिससे मंदिर को किसी प्रकार की नुकशान नहीं हुयी ये सब प्रभु की महिमा है । इतनी बड़ी आपदा के बाबजूद भी मंदिर को जरा भी चोट नहीं आयी.
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केदारनाथ कैसे पहुंचे
केदारनाथ धाम तक पहुंचने के लिए भारत के मुख्य 3 यातायात सुबिधाओं के द्वारा पंहुचा जा सकता है जैसे – ट्रैन , हवाई जहाज और बस ।
जानकारी के लिए बता दू आप चाहे किसी भी माद्यम से केदरनाथ पहुंचना चाहे तो आपको सोनप्रयाग तक के लिए ही बस या पर्सनल कार से आ सकते है आगे का रास्ता आपको घोड़े , खच्चर या फिर सोनप्रयाग से प्राइवेट टैक्सी मिलेंगी जो आपको गौरी कुंड तक पंहुचा देंगे । इसके आगे की यात्रा 16 किलोमीटर पैदल चढ़ाई बाले मार्ग पर चलना पड़ेगा ।
बया रेलगाड़ी
अगर आप ट्रैन से केदारनाथ दर्शन के लिए जा रहे है तब आपके पास 3 बिकल्प है हरिद्वार , ऋषिकेश और देहरादून रेलवे स्टेशन यदि आप ऋषिकेश रेलवे स्टेशन तक आते है तब यहां से केदारनाथ यात्रा की 30 किलोमीटर की दूरी कम पड़ जाएँगी ।
ट्रैन के द्वारा केदारनाथ यात्रा का सफर इतना ही संभव है बाकि का रास्ता सोनप्रयाग तक आपको बस या टैक्सी के द्वारा करना पड़ेगा
अगर हम बात करे तो इन किसी भी स्टेशन से आपको सुबह 5 बजे से शाम 8 बजे रात तक इन तीनो जगहों से दिन भर बस का आवागमन होता रहता है ।
बया हबाई जहाज –
यदि आप हवाई जहाज का सफर करके केदरनाथ मंदिर तक पहुंचना चाहे तो इसके सबसे नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून जॉली ग्रांट है जिस भी शहर या राज्य से देहरादून तक के लिए फ्लाइट उपलब्ध है तो आप देहरादून आ सकते है अन्यथा दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचकर देहरादून जॉली ग्रांट तक जा सकते है ।
दोस्तों हवाई यात्रा का भी सफर देहरादून तक ही हो पायेगा बाकि का रास्ता बस के द्वारा ही करना पड़ेगा एयरपोर्ट के बाहर से सुबह 5 बजे से रात्रि 8 बजे तक बसों का आवगमन होता रहता है।
अब इसके आगे का सफर केदारनाथ पहुंचने के लिए सबसे पहले सोनप्रयाग पहुंचना होगा जो इन तीनो रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट से आसानी से बस मिल जाएगी ।
देहरादून से सोनप्रयाग तक की दूरी 250 किलोमीटर
ऋषिकेश से सोनप्रयाग की दूरी 210 किलोमीटर
हरिद्वार से सोनप्रयाग तक का सफर 230 किलोमीटर
दोस्तों ऋषिकेश , देहरादून या हरिद्वार कही से भी केदारनाथ जाने बाली बसों में स्लीपर कोच नहीं होता क्योंकि केदरनाथ पहुंचने का जो मार्ग है वो पूरा ऊँचे ऊँचे पहड़ो के घाटों में बना हुआ है तो घाट सेक्शन में स्लीपर बस नहीं चलती क्योंकि वहां पर उसका संतुलन बिगड़ सकता है इसीलिए जो भी बसे चलती है तो सभी लगभग सीटिंग बाली होती है .
दोस्तों जब जब आप सोनप्रयाग पहुंच जाये या पहुंचने में रात हो जाये और यदि ये कहु की यहाँ आप रूककर आराम करना चाहते है क्योंकि 8 घंटे का सफर काफी ज्यादा दुर्लभ होता है उस केस में गर सोनप्रयाग रुकना चाहे तो बिलकुल ठहर सकते है उसके लिए बहुत सारे होटल और रिसोर्ट उपलब्ध है जो 1 हजार में अच्छे रूम मिल जायेंगे ।
अब हम बात करते है जब आप सोनप्रयाग तक पहुंच जाये तब आपको इसके आगे का सफर कैसे करना है –
सोनप्रयाग से गौरी कुंड
सोनप्रयाग से गौरीकुंड की दूरी 5 किलोमीटर की है जो अधिकांश लोग इस दूरी को पैदल ही तय करते है
जब आप गौरी कुंड पहुंचेंगे तो आपको गौरी माता का मंदिर मिलेगा जिनके दर्शन के लिए जा सकते है लेकिन अगर आप मई जून में केदरनाथ यात्रा पर जा रहे है तो आपको गौरी कुंड से सोनप्रयाग तक बहुत लम्बी लाइन लगनी पड़ती है जो 5 किलोमीटर का सफर कभी कभी 10 घंटे में भी पूरा नहीं हो पाता है ।
गौरी कुंड से केदरनाथ यात्रा कैसे करे
गौरी कुंड से केदारनाथ मंदिर की दूरी 16 किलोमीटर है जिसे तय करने के लिए आपके पास 3 बिकल्प है घोड़े खच्चर , पिट्ठू में बैठकर , और पैदल यात्रा ,
- यदि आप घोड़े खच्चर केद्वारा गौरी कुंड से केदारनाथ दर्शन के लिए पहुंचना चाहे तो इसका एक बार का जो चार्ज होता है मिनिमम 2 हजार से ढाई हजार के बीच होता है
- गौरी कुंड से पिट्ठो में बैठकर मंदिर तक की 16 किलोमीटर की लम्बी दूरी को भी तय कर सकते है जिसका किराया एक बार का 5 से 6 हजार रूपए होता है ।
- तीसरा बिकल्प जो बिलकुल फ्री है वो है पैदल यात्रा करके मंदिर तक पहुंच सकते है जो आपके स्टैमिना के ऊपर डिपेंड करेगा की कितने समय में आप ये दूरी तय कर सकते है अमूमन 7 से 8 घंटे लग जाते है .
दोस्तों गौरी कुंड से पैदल यात्रा करने से पहले गौरी कुंड में छड़ी या लाठी जरूर खरीद लीजियेगा क्योकि चढ़ाई के दौरान आपको इसकी बहुत ज्यादा जरुरत पड़ेगी ।
हेलीकाप्टर के द्वारा केदारनाथ मंदिर तक कैसे पहुंचे
यदि आपको स्वस्थ प्रॉब्लम है या चलने में कोई प्रॉब्लम है और आप हेलीकाप्टर करना चाहते है तब आपको सोनप्रयाग जाने की जरूरत नहीं इसके 15 किलोमीटर पहले ही एक जगह पड़ेगी जिसे फाटा के नाम से जाना जाता है ।
फाटा में उतरकर आप हेलीकाप्टर का टिकट ले लीजिये जिसका किराया आने और जाने का 6 हजार रूपए होता है
केदारनाथ में रुकने की जगह
केदारनाथ की पैदल यात्रा के दौरान मंदिर से ठीक 1 किलोमीटर पहले पड़ेगा बेस कैंप जहाँ ठहरने और खाने पीने की उत्तम व्यवस्था होती है इसका टिकट बुक करने के लिए ऑनलाइन GMVN की वेबसाइट से कर सकते है जो की गढ़बाल मंडल की सरकारी वेबसाइट है ।
यहाँ रुकने की 3 तरह की व्यवस्था है जो इस प्रकार है –
- CAMP – एक कैंप या टेंट में 10 बेड होते है जिसका चार्ज 300 रूपए प्रतिव्यक्ति एक रात रुकने का होता है
- Hut- यहाँ पर भी टेंट के जैसे एक HUT में 10 बिस्तर होते है जिसका किराया 750 रूपए लिया जाता है
- HUT HOUSE– यहाँ पर एक हाउस में ६ बिस्तर होते है जिसका किराया 950 प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन लिया जाता है यानि ये आपके रूम की तरह होगा.
खाने की ब्यबस्था
दोस्तों बेस कम्प में जो खाने का लंच और डिनर का चार्ज है वो 200 रूपए थाली के हिसाब से लिया जाता है वही अगर आप सुबह नास्ता करते है तो 100 रूपए लगता है लेकिन खाना बहुत स्वादिष्ट होता है।
बेस कम्प में रात आराम करने के बाद सुबह जल्दी उठे क्योंकि मंदिर खुलने का समय सुबह 5 बजे होता जिससे काफी ज्यादा भीड़ लग जाती है और यदि आप जल्दी पहुंच जाते है तो ज्योतिर्लिंग के नजदीक जाकर अपना माथा टेक सकते है और जो भी मनोकामनाएं है भोलेनाथ से मांग सकते है.
केदारनाथ कब जाये?
केदरनाथ धाम की जो यात्रा होती है वो साल में 6 से 7 महीने के लिए ही कपाट खोला जाता है जो की हर बर्ष अप्रैल मई में अक्षय तृतीया के दिन खोला जाता है और ऑक्टूबर , नवंबर में कार्तिक पूर्णिमा के दिन केदरनाथ मंदिर का कपाट बंद कर दिया जाता है ।
- अप्रैल ,मई से ऑक्टूबर, नवंबर के बीच का जो समय है उसमे जो बेस्ट टाइम है यहाँ जाने का वो सितम्बर से ऑक्टूबर के बीच का इस सीजन में केदारनाथ यात्रा जाने का पीक टाइम नहीं होता जिसकी बजह से इस सीजन में आपके थोड़े बजट भी कम आएगी और ज्यादा भीड़ भी नहीं रहेगी तो इसकी बजह से रहने खाने की उत्तम व्यवस्था भी मिल जाती है ।
- दोस्तों अगर हम मई और जून की बात करे तो गर्मियों की छुट्टी के बजह से केदारनाथ धाम में दर्शनर्थियो की बहुत ज्यादा भीड़ हो जाती है
- जुलाई और अगस्त में बारिश की बजह से यात्रा के दौरान कभी भी बर्षा होने लगती है जिसकी बजह से यात्रा में उतना आनंद नहीं आ पायेगा इसलिलिये आपको बेस्ट टाइम केदारनाथ जाने का सितम्बर और ऑक्टूबर का होता है ।
केदारनाथ जाने का खर्चा कितना आएगा?
केदारनाथ मे खर्चे को हमने 3 भाग में बाटा है जो इस प्रकार है –
पहला – अगर आप गौरी कुंड से केदारनाथ मंदिर तक पैदल दूरी तय करते है तब आपको एक दिन बेस कम्प में रुकने और खाने के साथ में 3 हजार रूपए लग जायेंगे यदि आप ऑफ सीजन में आते है तब अन्यथा इसका डबल लगेगा ।
दूसरा – अगर आप घोड़े खच्चर के द्वारा गौरी कुंड से मंदिर तक की दूरी तय करते है तब यही खर्च 7000 रूपए पहुंच जायेगा
तीसरा – लास्ट में हम अगर हेलीकाप्टर की बात करे तो अमूमन 10000 रूपए एक व्यक्ति का जा सकता है ।
केदारनाथ यात्रा की टिकट बुक कैसे करे
दोस्तों केदारनाथ का जो ट्रस्ट है जिसको कहा जाता है गढ़वालमंडल विकास निगम जिसको हम GMVN के नाम से जानते है इस वेबसाइट में जाकर भी आप अपनी बस की बुकिंग करा सकते है लेकिन यदि आप चाहे तो third party app के द्वारा भी अपनी टिकट बुकिंग करा सकते है ।
केदारनाथ की पैदल यात्रा कितनी है?
केदारनाथ की पैदल यात्रा महज 21 किलोमीटर की होती है जो सोनप्रयाग से गौरी कुंड तक 5 किलोमीटर और अगला पड़ाव गौरी कुंड से केदारनाथ मंदिर तक का सफर 16 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है ।
- दोस्तों पैदल यात्रा करने के दौरान हिमालय पर्वत की ऊँची ऊँची चोटियों से घिरा रास्ता और उसमे बर्फ से ढके हुए पहाड़ो की सुन्दर वादियों के बीचो बीच रास्ते से जब आप गुजरेंगे तो ये खूबसूरत लम्हे आपकी जिंदगी के सबसे खुशनुमा में से एक होंगे ।
- पैदल जाते हुए आपको मन्दाकिनी नदी पुल के ऊपर से सुन्दर व्यू का फोटोग्राफी कर सकते है
- पैदल यात्रा के दौरान आपको पुराने मार्ग दिखेंगे पुराने कहने का मतलब २०१३ में जो केदारनाथ में आपदा आयी थी जो यहाँ बाढ़ आयी थी वो काफी रूह कपा देने बाली आपदा थी जैसा आप सबको मालूम ही होगा ।
- रास्ते में जगह जगह पर छोटे छोटे स्ट्रीट फ़ूड की दुकाने होती है चाहे तो खाने पीने की चीजे यहाँ से खरीद सकते है जगह जगह पर वहा पर बाथरूम बने होते है ।
- इसके अलाबा पैदल रास्ते में मेडिकल की सुबिधाये भी जगह जगह पर है ताकि किसी भी प्रकार की चढ़ाई के दौरान आपको दिक्कत हो तो फ्री में इलाज ले सकते है.
केदारनाथ में घूमने की जगह
- केदारनाथ मंदिर – ये वही मंदिर है जहां भोलेनाथ जी ने पांडवो को सगे सम्बन्धियों को मारने के बाद उनके दवरा किये गए पापो से मुक्ति के रास्ते बताये थे और उन्हें क्षमा किया था।
- गौरी कुंड – केदारनाथ दर्शन के पहले ही रास्ते में गौरी कुंड मंदिर पड़ता है जहाँ देवी पार्वती जी के दर्शन के लिए शर्द्धालु जाते है । फिर यहाँ से अपने अगले पड़ाव की तरफ जो केदारनाथ दर्शन के लिए निकलते है ।
- भैरव मंदिर –केदरनाथ मंदिर में दर्शन करने बाद चाहे तो भैरव नाथ के दर्शन के लिए जा सकते है इसकी दूरी केदारनाथ मंदिर से महज आधा किलोमीटर है जहाँ भैरव नाथ की सुंदर प्रतिमा स्थपित है ।
- वासुकि ताल – यहाँ की जो प्राकृतिक सुंदरता है वो देखते बनती है यह सरोवर पहाड़ो के चोटी पर निर्मित एक प्राकृतिक झील है जहाँ से वादियों का दीदार कर सकते है । केदरनाथ मंदिर से वासुकि ताल की दूरी ७ किलोमीटर है इसे घूमने की लिए आपको एक दिन और केदरनाथ में रुकना पड़ेगा क्योंकि ये दूरी ट्रैकिंग करते हुए पैदल ही करना पड़ेगा ।
- गाँधी सरोवर – केदारनाथ मंदिर से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस पहाड़ी सरोवर में केदारनाथ दर्शन के बाद घूमने जा सकते है ।
केदारनाथ यात्रा कितने दिन की होती है
दोस्तों केदारनाथ यात्रा पर जाने के लिए आपके पास कम से कम 4 दिन का समय होना चाहिए 2 दिन जाने के लिए और 2 दिन लौटने के लिए जहाँ से भी आप आ रहे है उस सफर के समय को हम काउंट नहीं कर रहे है मै केवल हरिद्वार से केदारनाथ तक की यात्रा और दर्शन करने के बाद वापस लौट कर हरिद्वार रेलवे स्टेशन तक आने के 4 दिनों का समय लगेगा ।
FAQ- केदारनाथ मंदिर के बारे पूछे जाने बाले प्रश्न
केदारनाथ की घटना कब हुई थी?
2013 में 13 जून से 17 जून के मद्य में आयी भीषण तवाही बदलो के कई बार फटने से मन्दाकिनी नदी अपना विकराल रूप धारण कर लिया जिससे पूरा केदारनाथ धाम जलमग्न हो गया जिसकी बजह से लगभग 6 हजार के आस पास लोग मन्दाकिनी नदी में समां गए ।
केदारनाथ की पैदल यात्रा कितनी है?
केदारनाथ की पैदल यात्रा महज 21 किलोमीटर की होती है जो सोनप्रयाग से गौरी कुंड तक 5 किलोमीटर और अगला पड़ाव गौरी कुंड से केदारनाथ मंदिर तक का सफर 16 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है ।
हरिद्वार से केदारनाथ कैसे जाएं?
आप चाहे जिस भी शहर से केदारनाथ जा रहे तो ट्रैन का सफर हरिद्वार , ऋषिकेश या देहरादून तक ही सम्भव हो पायेगा आगे का रास्ता सोनप्रयाग तक 230 किलोमीटर आपको बस या टैक्सी के द्वारा करना पड़ेगा। उसके बाद 21 किलोमीटर की पैदल यात्रा शुरू हो जाती है।
निष्कर्ष – दोस्तों आज के इस लेख हमने जाना केदारनाथ की यात्रा करने की पूरी जानकरी जिसमे हमने आपको बताया केदारनाथ मंदिर कब जाना चाहिए , और साथ में केदारनाथ में घूमने की जगह कौन कौन है , केदारनाथ यात्रा के दौरान कहाँ रुके और केदारनाथ कैसे पहुंचे ।
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Achieve jankari di hai aapne
Very nice information
बहुत ही अच्छा लेख है। बहुत सही और सटीक जानकारी
धन्यवाद दोस्त
mere 2 bache hai ek beta hai jo octuber m 4 saal ka pura hoga aur ek beti hai octuber m 7 saal ki puri hogi toh main ye puchna chahti hon ki main bache leke ja sakti hon kedarnath waise abhi may m hum veshno devi gaye the bacho ne puri chadai khud ki thi toh plz aap meri help karo ki bacho le jana safe hai wahan
बहुत ही सटीक जानकारी हे इस जानकारी के आधार पर सहजता से केदारेश्वर की यात्रा पूरी की जासकती हे