Gwalior me ghumne ki jagah – नमस्कार मित्रों आज के इस नए लेख में हम भारत की ऐतिहासिक और संगीत नगरी कहे जाने वाले शहर ग्वालियर टूरिस्ट प्लेस के बारे में बात करने जा रहे हैं जो मध्य प्रदेश राज्य का एक महत्वपूर्ण जिला है, इसकी दूरी राजधानी नई दिल्ली से 340 और भोपाल से 428 किलोमीटर है ।
यदि आप कभी मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में आते हैं तो ग्वालियर में घूमने की जगह के साथ-साथ गढ़ी पडावली, बटेश्वर मंदिर, चौसठ योगिनी मंदिर की यात्रा में जरूर आइएगा, इन मंदिरों को देखकर आपको अपने भारत के गौरवशाली इतिहास पर गर्व होगा .
पर्यटकों की शानदार यात्रा के लिए इस शहर के आसपास लगभग 40 किलोमीटर के दायरे में कई दिलचस्प रॉक कट, ऐतिहासिक महल, प्राचीन मंदिर, गुरुद्वारे, झरना और वाटर पार्क जैसी और भी अन्य आकर्षण मौजूद हैं,
पर्यटकों द्वारा सबसे ज्यादा दौरा किए जाने वाले ग्वालियर पिकनिक स्पॉट की एक लंबी क्रमबद्ध सूची है जो आपकी जरूरत के हिसाब से दर्शनीय स्थलों का चयन करने में निश्चित रूप से मदद करेगा।
Table of Contents
ग्वालियर टूरिस्ट प्लेस सूची
कहते हैं समय के पिटारे में अथाह और असंख्य कहानियां छुपी होती हैं और लोग सिर्फ उन्हीं कहानियों को याद रखते हैं जिनके साक्ष्य बचे होते हैं इसी के अनुरूप ग्वालियर में घूमने लायक जगह आइए इन्हें विस्तार पूर्वक जानते हैं-
1. ग्वालियर का किला
भारत के स्वर्णिम इतिहास का प्रत्यक्ष साक्षी रहा ग्वालियर का यह किला कई राजवंशों को अमीर से फकीर बनते हुए देखा है यह वही किला है जहां वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से लड़ते लड़ते देश के लिए जान कुर्बान कर दी थी।
चाहे भले ही यह महल सैकड़ों वर्ष पुराना हो चुका हो परंतु इसकी खूबसूरती मोती जैसे आज भी चमक रही है जिसे आप ग्वालियर टूर करते हुए देख सकते हैं ।
यह किला एक पहाड़ी पर बना हुआ है जहां अलग-अलग शासकों द्वारा कई ऐतिहासिक महलों का निर्माण किया गया है सभी के अपने-अपने इतिहास है ग्वालियर का दौरा निश्चित रूप से आपको उत्साह के साथ ग्वालियर टूरिस्ट प्लेस की और भी ऐतिहासिक जगहों देखने की जिज्ञासा को बढ़ा देगा।
ग्वालियर किले में देखने के लिए नीचे क्रमबद्ध सूची है
- गुजरी का महल
- तेली का मंदिर
- सहस्त्रबाहु मंदिर
- सूर्य मंदिर
ग्वालियर के इस इस महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल में कई रोचक और यादगार बातें छुपी हैं जो आप यहां आकर बखूबी देख पाएंगे।
2. गुजरी का महल, संग्रहालय
राजा मानसिंह तोमर ने अपनी पत्नी गुजरी के लिए 15 वी शताब्दी में इस महल का निर्माण करवाया था महल की दीवारों पर लगी चमचमाती टाइल्स और साथ में अंकित राजा रानी के नाम सहित हाथी, मोर, झरोखे जैसे और भी चित्र दीवारों पर खूबसूरती के साथ उकेरा गया है जो इसकी शोभा को बढ़ाते हैं भीतरी भाग में मंदिर, जैन गुफा जैसी स्मारक मौजूद है।
वर्ष 1920 में गुजरी महल को संग्रहालय के रूप में तब्दील कर दिया गया जिसमें पर्यटकों के आकर्षण के लिए मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों से दूसरी शताब्दी से 17 में शताब्दी तक के एकत्रित शिलालेख, पाषाण प्रतिमाएं, मृणमयी मूर्तियां, कांस्य प्रतिमाएं, लघुचित्र, शालभंजिका की मूर्ति, और पुराने जमाने के औजार संग्रहित किया गया है।
- यदि आप इतिहास प्रेमी है तो आपको आवश्यक रूप से ग्वालियर ट्रिप में इस स्थान को जरूर शामिल करना चाहिए करें क्योंकि यह दो प्यार करने वाली जोड़ों की निशानी भी है.
3. गढ़ी पडावली
इसका नाम सुनते ही गढ़ी जैसी संरचना आंखों के सामने मंडराने लगती है जो वास्तव में सच है ग्वालियर शहर से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित है गढ़ी पडावली यहां आने पर एक विशाल किला देखने को मिलता है इसे पहली झलक में देखते ही इसके बारे में जानने के लिए उत्सुक हो जाएंगे।
यहां का मुख्य आकर्षण नागरा शैली में निर्मित शिव मंदिर जो कई स्तंभों के सहारे खड़ा है वास्तव में इसका आकार मंडप रूपी है, मंदिरों के स्तंभ और बाहरी दीवारों पर कई नक्काशी दार सजावट को देखा जा सकता है।
अलग-अलग देवी-देवताओं के स्वरूपों तथा दुर्गा ,शिव पार्वती, विष्णु दशावतार से लेकर ब्रह्म ,अप्सरा , गंधर्व ,यक्षी ,यक्षिकायो, घटक आदि देवी देवताओं की छोटी-छोटी मूर्तियां आपकी आंखों को कुछ पल के लिए चकाचौंध कर देंगे। इसके अलावा माला शेष, जंजीर के साथ घंटियों इत्यादि की बेहतरीन संरचना देखी जा सकती है।
4. मितावली का 64 योगिनी मंदिर
भारत के तीन चौसठ योगिनी मंदिरों में से एक मितावली कभी तंत्र साधना और ज्योतिष विद्या अध्ययन का केंद्र हुआ करता था वृत्ताकार आकर्षण वाले इस मंदिर को देश के संसद भवन संरचना का प्रेरणा स्रोत माना जाता है।
वैसे तो यह मंदिर मुरैना जिले के अंतर्गत मितावली नामक एक छोटे से गांव में स्थित है परंतु ग्वालियर से अत्यधिक नजदीक होने के कारण दूर-दूर से सैलानी इसकी अद्भुत नक्काशी देखने के लिए आते हैं।
धरातल से 20 फीट की ऊंचाई पर बने इस आयताकार मंदिर में 64 मंदिरों का समूह है जो देवियों को समर्पित है परिसर के मध्य भाग में वृत्ताकार शिव मंदिर है जहां भगवान भोलेनाथ विराजमान है।
5. बटेश्वर मंदिर

ग्वालियर शहर से उत्तर की ओर 35 किलोमीटर दूर बटेसरा नामक गांव में भगवान भोलेनाथ को समर्पित बटेश्वर मंदिर स्थापित है जहां लगभग पूरी तरीके से खंडहर हो चुके 200 मंदिरों के समूह को आरके लॉजिकल अधिकारी श्री के के मोहम्मद जी ने इन्हें दोबारा जिंदा कर दिया।
नागरा शैली में बने इन मंदिरों को लगभग नौवीं और दसवीं शताब्दी में गढ़ा गया था इन मंदिरों की नक्काशी खजुराहो की कामुक समानताओं से मेल खाती हैं जो आगंतुकों को भयानक एहसास कराती है।
बटेश्वर मंदिर की यात्रा मितावली और पडावली के साथ की जा सकती है जो मात्र 15 मिनट की दूरी पर यह सभी स्थान मौजूद।
6. शनिचरा मंदिर
वैसे तो शनिचरा मंदिर मुरैना जिले के अंतर्गत आता है लेकिन ग्वालियर शहर से मात्र 18 किलोमीटर दूर होने के कारण अत्यधिक संख्या में टूरिस्ट यहां आते हैं, यह शनि देव का सबसे बड़ा धाम है यहां देश के कोने-कोने से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
इस मंदिर की विशेषता के बारे में रामायण काव्य में वर्णन किया गया जब त्रेता युग में रावण द्वारा शनिदेव को बंदी बना लिया गया था, और हनुमान जी सीता की खोज में लंका पहुंचे तो उन्होंने रावण से युद्ध लड़कर शनि महाराज को आकाश में फेंक दिया जिससे वह यहीं पर गिरे थे।
वैज्ञानिक खोज के अनुसार मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान मूर्ति उल्का पिंड के पत्थरों से बनी हुई बताई गई है।
7. बेजा ताल ग्वालियर
प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण बेजा ताल ग्वालियर का प्रमुख पिकनिक स्पॉट है जो पर्यटकों को नौका विहार और शाम के समय म्यूजिकल फाउंटेन शो देखने का अवसर प्रदान करता है।
फैमिली के साथ शानदार वीकेंड की छुट्टियां इंजॉय करने के लिए स्थानीय पर्यटक झील में नौका विहार के साथ-साथ खूबसूरत पक्षियों को देखने के लिए आते हैं, शाम के समय म्यूजिकल फाउंटेन की धुन पर ग्वालियर वासी खुशी से झूम उठते हैं ।
8. जय विलास पैलेस
भारत के सबसे प्रसिद्ध महलों में से एक जय विलास पैलेस सिंधिया राजपरिवार का वर्तमान घर ही नहीं बल्कि 35 कमरों के साथ संग्रहालय भी है जो अतीत की दुर्लभ शाही राजघराने की झलक देखने के साथ ही सबसे अच्छी ग्वालियर में घूमने की जगह है।
यह महल इतिहास के पन्नों में अमर हो चुकी सोने चांदी से निर्मित वस्त्र, पुरानी वस्तुएं, औजार, राजशाही रहन सहन, पहनावे, के अलावा उनके पूर्वजों के व्यक्तिगत ज्वेलरी ,चप्पल, जूते फोटो गैलरी, चांदी की डोली, चांदी से बने हुए रथ , कुर्सियों जैसी अनेकों वस्तुएं निश्चित रूप से आगंतुकों को चकाचौंध कर देती हैं ।
- यह महल प्रतिदिन सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है जिसका निर्धारित शुल्क जमा करके प्रवेश कर सकते हैं.
9. नलकेश्वर झरना

वर्षा ऋतु शुरू होते ही आसमान में मंडराते बादलों को देखते ही घूमने के शौक रखने वाले लोगों के मन में किसी खूबसूरत पानी से लबालब नदियां जलाशयऔर झरने देखने का विचार आता है ठीक इसी तरह की जगह है ग्वालियर से 25 किलोमीटर दूर उटीला के जंगलों के अंदर जहां तक रोड माध्यम से अपने प्राइवेट वाहन, टैक्सी या मोटरसाइकिल से बड़ी आसानी से पहुंचा जा सकता है।
बारिश के मौसम में यहां पथरीली चट्टानों से पानी नीचे की तरफ गिरता है उस दौरान चारों तरफ पानी की छोटी-छोटी बूंदे आसपास के वातावरण में इस कदर फैल जाती हैं कि मानो पर्यटकों को ऐसा एहसास कराती हैं कि किसी खूबसूरत हिल स्टेशन की सैर कर रहे हैं।
10. रानी लक्ष्मीबाई स्मारक
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी, हर भारतवासी बचपन के दिनों में किताबों में यह लाइन पढ़ा होगा, यह उसी वीरांगना की समाधि है जिसने देश की आजादी के लिए अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे और अंत में गोली लगने के कारण वीरगति को प्राप्त हुयी।
यहां भी आ जाइए रानी के स्मारक पर माथा टेक कर गौरव महसूस करेंगे उन्हें श्रद्धांजलि देना बिल्कुल ना भूलें।
11. राम जानकी मंदिर
ग्वालियर शहर के रानी घाटी इलाके में राम जानकी का बहुत ही दर्शनीय स्थान है जो लगभग 1000 साल पुराना है जहां जीवाजीराव हमेशा दर्शन करने के लिए आते थे, इस मंदिर के अंदर स्थापित राम और सीता मैया की बहुत ही सुंदर प्रतिमा।
किसी त्योहार या विशेष शुभ अवसर पर परिवार के साथ यहां दर्शन करने के लिए जा सकते हैं।
12. सहस्त्रबाहु मंदिर

ग्वालियर किले में लगभग 1200 साल पहले महिपाल राजा का शासन हुआ करता था इतिहास के पन्नों को पलट कर देखा जाए तो समझ में आता है कि राजा की मां भगवान विष्णु की उपासक थी और उनकी पत्नी भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त हुआ करती थी तब राजा ने 1093 ईस्वी में शिव और विष्णु के दो अलग-अलग मंदिरों का निर्माण करवाया।
विष्णु जी के संपूर्ण अवतार में सहस्त्र भुजाओं के कारण इसका नाम सहस्त्रबाहु रखा गया लेकिन कालांतर में सास बहू कहा जाने लगा ऐसा इसलिए विष्णु का मंदिर मेंरानी के सासू मां पूजा अर्चना करती थी और ठीक उसी प्रकार शिव मंदिर में स्वयं रानी पूजा पाठ करती थी, रिश्ते से दोनों सास बहू लगती थी जिसके कारण इसका नाम बदल दिया गया।
यह मंदिर अपनी बेहतरीन संरचना के कारण संपूर्ण विश्व भर में लोकप्रिय है यहां आने वाले टूरिस्ट मंदिर के दीवारों पर की गई अप्सराओं की छोटी-छोटी खूबसूरत कारीगरी निहारते रह जाते हैं।
13. गोपाचल पर्वत
ग्वालियर के फूलबाग रोड पर गोपाचल मार्ग के पास ढ़लानी चट्टानों पर निर्मित जैन धर्म के 24 महान तीर्थ कारों की अद्भुत संरचना देखने को मिलती है इन मूर्तियों का निर्माण पहाड़ी के पत्थरों को काटकर शानदार तरीके से उकेरा गया है जिन्हें देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि यह कोई गुफा है।
14. तिघरा डैम की वोटिंग

तिघरा बांध ग्वालियर मुख्य शहर से 23 किलोमीटर दूर स्थित शानदार पिकनिक स्पॉट है, यहां का मुख्य आकर्षण नाव की सवारी जो सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रखा जाता है।
यहां पेडल वोट से लेकर स्पीड बोट तक की अलग अलग राइड के निर्धारित चार्ज जमा करके नौका विहार का आनंद उठा सकते हैं इसके अतिरिक्त एक और चीज प्रसिद्ध है जो की नलकेश्वर सफारी, मगर कुंड राइड और प्री वेडिंग फोटोग्राफी ।
15. गांधी प्राणी उद्यान
ग्वालियर एक समृद्ध विरासत वाला रोमांचक शहर है जहां प्राणी उद्यान शहर की रौनक में चार चांद लगा देता है यहां विलुप्त हो रहे दुर्लभ जंगली जानवरों की एक लंबी श्रृंखला है जैसे- सफेद बाघ, लकड़बग्घा, सांभर बायसन, चीता, भालू, हिप्पो, शुतुरमुर्ग, मोर, कृष्ण मृग, मगरमच्छ के साथ ही साथ सर्पों और पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों का यहां बसेरा है।
यह जगह वयस्कों तथा बच्चों के लिए बहुत खास है खास करके उन लोगों के लिए जो बच्चों के साथ पिकनिक इंजॉय करने जा रहे हैं क्योंकि यहां उनके लिए भरपूर मस्ती वाले झूले और छोटी सी झील में नाव की सवारी टॉय ट्रेन की सवारी का मजा उठा सकते हैं।
16. ग्वालियर मेला
कई दशकों से लगातार चली आ रही परंपरा के अनुसार ग्वालियर शहर में सर्दियां प्रारंभ होते ही 30 दिनों तक चलने वाले भव्य मेले का दिसंबर माह में आयोजन किया जाता है ।
इस मेले में सभी राज्यों की परंपरागत जूते, कपड़ों के साथ-साथ अनेकों प्रकार की अलग-अलग वस्तुएं ,सहित मिट्टी के बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक आइटम ,ऑटोमोबाइल तथा पशुओं का लेनदेन होता है।
हालांकि ग्वालियर मेला केवल व्यापार के लिए ही नहीं है बल्कि जादूगर, कार्निवल सवारी, खाने के स्टाल, डांस शो, कवि सम्मेलन, कव्वाली, प्रतियोगिताएं, और कई प्रकार के बाहरी झूले मेले में मौज-मस्ती करने का अवसर देते हैं।
यदि अपना नया साल ग्वालियर के आसपास मनाना चाहते हैं तो मध्य प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध ग्वालियर मेले में अवश्य जाइएगा।
17. स्प्लैश सनसिटी वाटर पार्क
शहर के गोले मंदिर के पास स्थित ग्वालियर का सबसे बड़ा वाटर पार्क है जो दोस्तों और परिवार के साथ एडवेंचर समय बिताने के लिए एक अच्छी जगह है यहां पानी में होने वाली गतिविधियों का आनंद उठाया जा सकता है जैसे -रोलर, स्विमिंग, वाटर स्लाइड उपलब्ध जो वयस्कों तथा बच्चों के लिए द्वारा बेहद पसंद किया जाते हैं।
ग्वालियर कैसे जाएं ?
बाया हवाई जहाज
ग्वालियर स्थित विजय राजे सिंधिया हवाई अड्डा प्रतिदिन घरेलू उड़ानें भरता है जहां एयर इंडिया के माध्यम से दिल्ली ,मुंबई ,भोपाल ,इंदौर जैसे शहरों से नियमित रूप से आवागमन होता है, लेकिन यदि आपके शहर से डायरेक्ट ग्वालियर तक के लिए हवाई जहाज नहीं है तो दिल्ली पहुंचकर यहां लिए फ्लाइट पकड़ सकते हैं।
बाया रेल मार्ग
ग्वालियर मध्य प्रदेश का महत्वपूर्ण शहर होने के कारण यह रेल मार्ग से भारत के कोने-कोने में स्थित शहरों से सीधे तौर पर रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है इस जंक्शन से शताब्दी, राजधानी, गरीब रथ, एक्सप्रेस, सुपर फास्ट जैसी अनेकों ट्रेन विभिन्न राज्यों के लिए गुजरती हैं।
ग्वालियर घूमने कब जाना चाहिए ?
वैसे तो ग्वालियर हर मौसम में दर्शनीय है लेकिन यहां सबसे ज्यादा देश विदेश से सैलानी सर्दियों के मौसम आते हैं कारण यह है ग्रीष्म काल में यहां भीषण गर्मी पड़ती है जो घूमने में परेशानी का सबब बनती है शायद इसीलिए अक्टूबर से मार्च के बीच यहां पिकनिक मनाने का सबसे अच्छा समय माना जाता है।
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