भगवान श्री कृष्ण की लीला स्थली और जन्म स्थली भूमि गोकुल में अनेको ऐसे रहस्य है जो आज के आधुनिक समय में भी रहस्य ही बने हुए है
अगर आप घूमने के शौकीन है और आध्यात्मिक धार्मिक स्थलों में रूचि रखते है तो गोकुल के प्रसिद्ध मंदिर आपके लिए एक शानदार दार्शनिक स्थल हो सकता है ।
बचपन तो सबका होता है लेकिन एक बचपन जो हर कोई देखना चाहता है वो है भगवान श्री कृष्ण का बचपन देखने के लिए पूरी दुनिया लालायित रहती है
गोकुल भारत में उत्तरप्रदेश राज्य के जिला मथुरा में स्थित है और इसके भीतर अनगिनत तीर्थ स्थली है जिसमे गोकुल धाम में किशन कन्हैया की बचपन की यादो को जानने और उस युग की परंपरा को समझने के लिए आपको गोकुल घूमने के लिए जाना होगा ।
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गोकुल के प्रसिद्ध मंदिर
चौरासी कोस ब्रज मंडल में गोकुल वह धाम है जहाँ से भगवान श्री कृष्ण की कई लीलाये जुडी हुयी है गोकुल पहुंचकर आपको ऐतिहासिक प्राचीनतम काल के बारे में आध्यात्मिक और आलोकिक की अनुभूति होगी जिसे घूमने के लिए दुनिया भर से सैलानी हर साल गोकुल के प्रसिद्ध मंदिर देखने के लिए आते है ।
गोकुल की गलियां आज भी वही अपने पुराने अंदाज में है पुरानी गलियां, पुराने रास्ते, पुराने मंदिर ,पुराने वृक्ष सच में गोकुल घूमने जाने के बाद बिल्कुल एक अनिभूति होगी यहाँ की गलियों में आपको हर जगह पर मंदिर देखने को मिलेगा जो भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ होगा
आज हम जाने वाले हैं गोकुल में घूमने की जगह और गोकुल के प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जहां श्री कृष्ण ने जन्म लेकर अपना बाल जीवन बिताया था।
1. नन्द महल गोकुल
नन्द महल के अंदर बनी सुन्दर झांकियो के माध्यम से कृष्ण जीवन के सभी घटना चक्रो को अलग अलग स्वरुप में उनकी लीलाओं का जीवंत सी लगने बाले मूर्तियों के रूप में बड़े सुन्दर ढंग से वर्णनं किया गया है ।
गोकुल में नन्द महल को 84 खम्भा के नाम से भी जाना जाता है ये महल योग माया और बलराम की जन्म स्थली भूमि है और इसी जगह पर वसुदेव ने मथुरा से यमुना पार करके गोकुल में नंद के घर भगवान श्री कृष्ण को लेकर आए थे और यशोदा की बेटी योग माया को गोकुल से मथुरा ले गए थे।
गोकुल के नंद महल में पूतना बद्ध से लेकर कंश बद्ध तक के सभी स्वरुप में प्रभु की सुन्दर मूर्ती के रूप में चित्रित की गयी है। भगवान कृष्ण के द्वारा की गयी अलग- अलग लीलाओ का नन्द महल में वर्णन देखने को मिलता है
दोस्तों जब आप यहां आएंगे तो योग माया मंदिर और बलराम मंदिर और भगवान श्री कृष्ण का आनंद मंदिर के दर्शन कर पाएंगे.
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2. योग माया मंदिर
ये उन्ही योगमाया का मंदिर है जिन्होंने ने कंश में मृत्यु की भविष्यवाणी की थी की कंश तुझे मारने बाला इस दुनिया में जन्म ले चूका है और तेरा बद्ध होना सुनिश्चित है और भगवान् श्री कृष्ण सुरक्षित है ।
मैया यशोदा की पुत्री योग माया जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते है भगवान् श्री कृष्ण की लीला के अनुसार योगमाया को वासुदेव के द्वारा यमुना पार कंश के घर ले जाया गया था और कृष्ण कन्हैया को बासुदेव के द्वारा गोकुल लाया गया ।
गोकुल के प्रसिद्ध मंदिर में से एक योगमाया मंदिर जो कफी भव्य और सुन्दर शैली में निर्मित किया गया है जो नन्द महल के पास में ही स्थित है ।
3. रमन रेती आश्रम
रमन रेती के बारे में ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण अपनी शाखाओं संग यहां गाय चराने आते थे और इसी रेतीली भूमि पर अपने मित्रो संग खेला करते थे इसी वजह से इस जगह को रमन रेती के नाम से जाना जाता है .
रमन रेती आश्रम में जो भक्त आते हैं तो यहां पर लेट कर गोल गोल घूमते हैं और उन भक्तों के ऐसी मान्यता है कि इस रेत में लेटने से सभी कष्ट और पाप दूर हो जाते हैं जो इस ढंग से पूजा अर्चना करता है गोकुल में उनकी मनोकामना पूरी होती है और उनके बिगड़े काम फिर से बन जाते हैं
प्रतिदिन लगभग 8:20 में गोकुल की गलियों से एक हांथी का आगमन होता है जब वह हाथी आती है तभी रमन रेती में आरती शुरू होती है क्योंकि हाथी के द्वारा ही मंदिर की घंटी बजायी जाती है .
जब आप रमन रेती घूमने के लिए जाये तो सुबह की भव्य आरती में शामिल होकर गोकुल की अलोकिक आरती का मनमोहक दृश्य अवश्य देखे ।
रमन रेती आश्रम में साधु संतों के लिए बड़ी सुंदर कुटिया बनाई गई हैं जिन्हें आप देख सकते हैं और यहां से आगे आने पर पैदल दूरी पर पड़ता है खूबसूरत रमन सरोवर जहां ब्रज धाम में आकर भक्त इस सरोवर में स्नान करते हैं .
रमन सरोवर में भक्तों के लिए हर रोज भंडारे का आयोजन किया जाता है जो मंदिर विभाग की तरफ से आने वाले भक्तों को प्रसाद वितरित किया जाता है.
गोकुल धाम के इस मंदिर के समीप ही स्थित है एक खूबसूरत वन जहां हिरण ,खरगोश, शुतुरमुर्ग ,कबूतर, और अन्य पक्षियों और जानवरो को भी देख पाएंगे.
रमन रेती आश्रम में देखने लायक जगह
- हिरन अभ्यारण
- सरोवर
- राधा कृष्ण मंदिर
- सुन्दर कुटिया
- गोकुल का भंडारा
4. ऊखल बंधन आश्रम गोकुल
आपने कभी भगवत पुराणों में इस जगह का नाम जरूर सुने होंगे ये गोकुल धाम में वो जगह है जहाँ एक बार यशोदा मैया ने श्री कृष्ण को ओखल में बांध दिया था ।
अपने बचपन में श्री कृष्ण बहुत नटखट हुआ करते थे कभी मटकिया फोड़ दिया करते , तो कभी माखन चुरा लेते इन सब से परेशां होकर यशोदा मैया उन्हें ओखल में बांध दिया था । ये वही पावन भूमि है जहाँ भगवान स्वयं बंधे हुए थे ।
पुराणों के अनुसार कहते है की यमुना मैया श्री कृष्ण को प्राप्त करने के लिए युगो से तपश्या की थी यमुना नदी के किनारे बने इस आश्रम में सबसे पहले माँ यमुना जी की सुन्दर प्रतिमा के दर्शन होंगे जिसमे वो भगवान श्री कृष्ण का इन्तजार करते हुए विराजमान है ।
5. चन्द्रावली मंदिर
राधा की अष्ट सखियों में चन्द्रावली का यह मंदिर गोकुल के महावन में यमुना तट पर स्थित है पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार श्री कृष्ण राधा और उनकी सखी चन्द्रावली के साथ नृत्य लीला करने जा रहे थे तब कृष्ण ने चन्द्रावली को यमुना के किनारे इन्तजार करने के लिए कहते है और वो वही बैठ जाती है ।
केशब को आने में देर हो जाती है तब चन्द्रावली उनसे रूठ कर वही विराजमान हो जाती है तो भगवान कृष्ण ने उन्हें वरदान दिया की कलयुग में इसी जगह पर आपकी पूजा होगी तभी से ऐसी मान्यता है की गोकुल में चन्द्रावली के दर्शन के लिए हर बर्ष लाखो श्रद्धालु आते है ।
चन्द्रावली मंदिर में हर सोमवार को विशाल मेला का आयोजन किया जाता है उस दिन यहाँ घूमने का अलग ही अनुभव होता है ।
6. दर्शानेष्वर महादेव मंदिर
गोकुल धाम की गलियों में मंदिरो की भरमार है हर गलियारों में थोड़ी थोड़ी दूर पर आपको कन्हैया के खेलने और उन्ही के द्वारा की गयी लीलाओं के जगह देखने को मिल जायेंगे ।
दर्शनस्वर मंदिर में कन्हैया को हर जगह अलग -अलग खूसूरत पेंटिंग के माद्यम से पूरे मंदिर परिसर में चित्रित किया गया है और ये चित्र टूरिस्ट को सबसे ज्यादा आकर्षित करते है ।
7. बलदेव मंदिर
बलदेव मंदिर भगवान बलराम को समर्पित है इस मंदिर में हर दिन दोपहर 3 बजे बलदेव जी को भांग चढ़ाकर पूजा अर्चना की जाती है और 4 बजे से बृजबासी लोगो को महाप्रसाद के रूप में दूध , दही , रेवड़ी , लस्सी वितरित किया जाता है ।
8. श्री दाऊ जी महाराज मंदिर
नन्द महल मंदिर से 8 किलोमीटर दूर बलदेव गांव में स्थित यह मंदिर बलराम को समापित है जो काफी भव्य है इसी मंदिर में बलराम की माता रेवती के भी दर्शन कर सकते है ।
बलदेव एक गांव है जो छोटा सा कस्बा है जहाँ आपको बाजार में खाने पीने की वस्तुए मिल जाएँगी ।
9. पति पावनि उत्तरा कुंड
ब्रज धाम गोकुल में पति पावनि कुंड को बहुत महत्त्व दिया जाता है इसकी मान्यता है की कन्हैया के जन्म के 6 वे दिन माता यशोदा जी ने उनका इस कुंडा में पूठड़ा धोया था।
तब से गोकुल में ये परंपरा चली आ रही है यहाँ किसी के बच्चा जन्म लेता है तो उसकी छठी मानाने के लिए यहाँ आते है ।
10. ब्रह्माण्ड घाट यमुना
ब्रह्माण्ड घाट गोकुल में घूमने की प्रसिद्द जगह है यहाँ कन्हैया की बड़ी सुंदर लीला हुई है और इसी घाट पर उनका जन्म भी हुआ है पुराणों के में बताया जाता है कि यह जगह भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली है.
ब्रह्माण्ड घाट गोकुल का रहस्य
श्री भगवत गीता के अनुसार गोकुल के यमुना नदी के तट पर भगवान श्री कृष्ण ने माटी खाई थी और फिर अपने मैया यशोदा को अपने मुख में सम्पूर्ण ब्रह्मांड की दर्शन कराये थे ये वही पवित्र जगह है ।
यमुना नदी के ब्रह्मांड घाट में भगवान श्री कृष्ण का घर था और यहीं पर गर्गाचार्य जी ने श्री कृष्ण का नामकरण किया था फिर इसी जगह पर उन्होंने अपने बाल्यकाल की अवस्था का 11 वर्ष 1 महीने और 22 दिन बिताए .
ये सभी गोकुल के प्रसिद्द मंदिर है जब आप गोकुल घूमने की जगह देखने आये तो इन सभी टूरिस्ट प्लेस को विजिट कर सकते है और भगवान कृष्ण से जुडी बचपन की यादो को तजा कर के जाये । क्योकि गोकुल ही वो गांव है जहाँ भगवान कृष्ण ने अपने बचपन के दिनों को बिताया था ।
गोकुल घूमने कब जाये ?
गोकुल घूमने के लिए सबसे ज्यादा टूरिस्ट होली , जन्माष्ठमी और राधा अष्ठमी के मौके में यहाँ आते है इस समय पर बहुत सारी टूरिस्ट बस भी चलायी जताई है जो गोकुल , वृन्दावन , मथुरा , और बरसाना को कवर करती है ।
इसके अलाबा ब्रज धाम गोकुल की यात्रा के लिए साल भर लाखो श्रद्धालु गोकुल के प्रसिद्ध मंदिरो में दर्शन के लिए आते रहते है ।
गोकुल घूमने कैसे पहुंचे ?
गोकुल तक पहुंचने के लिए आपको मथुरा रेलवे स्टेशन में उतरना होगा जो भारत के सभी प्रमुख शहरो से रेल मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ जो दिल्ली से 160 और आगरा से 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । है अगर आप गोकुल , वृन्दावन , या बरसाना घूमना कहते है तो ये सभी जगह मथुरा जिला के अंदर पड़ती है ।
यदि आप हवाई यात्रा करके गोकुल आना चाहते है तो इसके सबसे नजदीकी एयरपोर्ट दिल्ली है जो गोकुल से 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ।
मथुरा शहर रेल मार्ग और बस सुबिधाओं से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है क्योकि ये दिल्ली से मात्रा 160 किलोमीटर और आगरा से 56 किलोमीटर की दूरी पर बसा है और वह से बस या टैक्सी लेकर ब्रज के 84 कोस में बेस इन सभी जगहों को आसानी से घूम सकते है ।
गोकुल कैसे घूमे ?
माथुर जिला में स्थित गोकुल ,वृन्दावन , बरसाना , और गोबर्धन , इन सभी जगहों को घूमने के लिए आपको बस या रेलवे स्टेशन में टूरिस्ट बस या ऑटो टैक्सी टूरिस्ट प्लान मिल जायेगा जिसके द्वारा आपको पूरे मथुरा जिला का भ्रमण कराया जाता है ।
पूरा गोकुल 15 किलोमीटर के भीतर ही स्थिति है जहाँ आप बड़े आसानी से 1 दिन में सभी गोकुल के प्रसिद्द मंदिर और गोकुल में घूमने की जगह देख सकते है ।
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FAQ गोकुल के बारे में पूछे जाने बाले प्रश्न ?
गोकुल कहा है ?
भारत के प्रसिद्ध धार्मिक राज्य उत्तर प्रदेश में स्थित मथुरा जिला में गोकुल , गोवर्धन , वृन्दावन और बरसाना ये सभी जगह ब्रज मंडल के 84 कोस के गाँवो में आते आते है जो लगभग 55 किलोमीटर की एरिया में सभी जगह पड़ती है।