गंगासागर यात्रा कैसे करे [A to Z] जानकारी | Gangasagar

भारत एक धर्म परायन देश है यहाँ के लोगो के मन में अपने ईश्वर और सभी देवी देवताओं के प्रति बड़ी गहरी आस्था है अपने भगवान के दर्शन के लिए वो हमेशा तात्पर्य रहते है जहाँ कही भी उन्हें अपने ईश्वर से सम्बंधित कोई भी स्थान मंदिर या फिर ऐसे ही किसी पवित्र जगह की जानकारी उन्हें मिलती है तो वो उनके दर्शनों के लिए चल पड़ते है जब किसी बिशेस अवसरों में लोग किसी दूरस्थ धार्मिक स्थलों में जाते है तो उसे तीर्थ यात्रा कहा जाता है ऐसा ही एक धार्मिक यात्रा है गंगासागर यात्रा ।

जो पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले में स्थित है ये स्थान कोलकाता से लगभग 130 किलोमीटर दक्षिणी दिशा में पड़ता है यही गंगा नदी का सागर से संगम माना जाता है

ये स्थान वो जगह है जहाँ पर गंगा नदी और बंगाल की खाड़ी का अद्भुत मिलन होता है

नमस्कार प्रिय पाठको आगे इस लेख में आप जानेगे गंगासागर की यात्रा के बारे में जिससे आपकी गंगासागर धाम की यात्रा करने में काफी सहूलियत होगी । गंगासागर कब जाना चाहिए ? गंगासागर कैसे जाये ? गंगासागर धाम के दर्शन कैसे करे ? और अंत में जानेगे गंगासागर धाम की यात्रा में खर्च कितना लगेगा तो इन सभी सबलो के जबाब के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़े ।

गंगासागर की कहानी

यात्रा शुरू करने से पहले चलिए हम जान लेते है गंगासागर की कहानी के बारे में –

माँ गंगा की कहानी का उल्लेख कवि कालिदास जी के रघुवंशम् में मिलता है जिसमे गंगा नदी के उद्गम से लेकर सागर से अंतिम मिलन तक के सफर का बड़ी सुन्दर पंक्तियों से वर्णित किया गया है ।

कथा के अनुसार एक बार भगवान राम के पूर्वज राजा सागर के द्वारा छोड़े गए अश्वमेध के घोड़े को भगवान इन्द्र पकड़ कर महाराज कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिए । जिससे राजा सागर परेशान होकर अपने 60 हजार पुत्रो को घोडा ढूढने के लिए भेजते है उनके सभी पुत्र सम्पूर्ण पृथ्वी लोक में घोडा ढूढ़ने के लिए फ़ैल जाते है ।

घोडा ढूढ़ते ढूढ़ते उनके सभी पुत्र कपिल मुनि के आश्रम में पहुंच जाते है और बंधे हुए घोड़े को देखकर कपिल मुनि को चोर समझ लेते और उन्हें भला बुरा बोलने लगते है । तब कपिल मुनि लज्जित होकर सभी को वही पर भस्म होने का श्रॉफ दे देते है और वो सभी भष्म हो जाते है ।

बहुत दिन बीत जाने के बाद जब राजा सागर के कोई भी पुत्र वापस नहीं लौटते तब उन्होंने अपने पौत्र अंशुमान को उनकी खोज के लिए भेजते है ।

अंशुमान अपने सभी चाचायो को खोजते हुए जब ऋषि कपिल के आश्रम में पहुंचते है तो उसे पता चलता है की वो सभी अब इस दुनिया से बिदा ले चुके है और कपिल जी ने अंशुमान से बताया की अगर कोई भी राजा सागर का बंसज माँ गंगा जी को धरती लोक में इसी स्थान पर लेकर आएगा तभी उनके सभी 60 हजार पुत्रो को मोक्ष मिलेगी ।

तभी से अयोध्या में राजाओ के कई बन्सजो ने गंगा जी को धरती में लाले के लिए घोर तपस्या किया लेकिन सब बिफल रहे ।

अंत में उन्ही के बंसज राजा भगीरथ जी के घोर तपोबल से माँ गंगा जी प्रसन्न होकर पृथ्वी में आने के लिए उत्सुक हुयी ।

गंगा जी ने धरती में आने से पहले भगीरथ से कहती है की जिस समय मै धरती में प्रस्थान करुँगी तो वहां मेरे तेज वेग को रोकने के लिए कोई उपस्थित होना चाहिए तब भगीरथ तपश्या करके भगवान शिव को प्रसन्न करते है ।

तब गंगा जी गंगोत्री में पहली बार धरती में अपने चरण रखती है और वहां से तेज जलधाराओं के साथ बहने लगती है ।

स्वर्ग से तेज धाराओं के साथ आती हुयी माँ गंगा के प्रवाह भगवान् शिव जी ने अपनी जटाओं में बांध लेते है और वहां से गंगा 7 धाराओं में बट जाती है ।

भगीरथ माँ गंगा को अपने पूर्वजो के भस्म बाले स्थान में रास्ता दिखाते हुए लेकर आगे आगे चलते रहते है और गंगासागर पहुंचकर उनके पूर्वजो का उद्धार करते हुए माँ गंगा पुनः बंगाल की खाड़ी में समां जाती है । ऐसा है गंगासागर की कहानी

ऐसा क्यों जाता है सारे तीरथ बार बार गंगासागर एक बार ?

हिन्दू धर्म ग्रंथो में गंगासागर को मोक्ष्य द्वारा कहा गया है क्योंकि सम्पूर्ण विश्व भर में सबसे पवित्र नदियों में गंगा का सर्वोच्य स्थान है । इसीलिए दुनिया भर से श्रद्धालु इस गंगासागर संगम में आकर डुबकी लगाते है और अपने अपने मोक्ष्य प्राप्ति की कामना करते है।

मान्यता है की गंगासागर की यात्रा सैकड़ो तीर्थ यात्रा के बरावर है हर किसी को यहाँ आना नसीब नहीं होता जिसके कारण गंगासागर का महत्त्व और भी ऊँचा हो जाता है गंगासागर पुण्य आत्मा के मोक्ष्य प्राप्ति का द्वार है इसीलिए इसे सारे तीर्थ बार बार गंगासागर एक बार कहा जाता है ।

गंगासागर के दर्शन कैसे करे ?

सागर और गंगा के संगम बाले स्थान पर स्नान करके सूर्य देवता को अर्ध्य दिया जाता है यानि की सूर्य की पूजा करते हुए गंगा माँ के चरणों में पुष्प , नारियल , यज्ञोपवीत भेट करते हुए पूजा करने से माँ गंगा मनुष्य के पापो से मुक्त कर देती है इसीलिए गंगासागर का महत्त्व सर्वोच्य है ।

इसके बाद सागर तट पर स्थित कपिल मुनि के मंदिर में भगवन व्रिष्णु की पूजा की जाती है क्योंकि कपिल मुनि व्रिष्णु जी के ही अंश है । ऐसा करने से माँ गंगा बहुत प्रसन्न होती है और मानव को पापो से मोक्ष्य की प्राप्ति का रास्ता बताती है ।

गंगासागर में कितने दिन का टूर ट्रिप बनानी चहिये ?

जब भी आप गंगासागर की यात्रा पर जाये तो वहां 1 रात रुककर दर्शनकारे और अगले दिन पुनः अपने घर के लिए प्रस्थान कर सकते है लेकिन यदि आप दर्शन करने के बाद नहीं रुकना चाहते तो उसी दिन दर्शन के बाद वापस अपने घर के लिए लौटने की योजना बना सकते है ।

आप जब भी गंगासागर की यात्रा पर जाये तो एक दिन वहां रुककर अच्छी तरीके से घूमिये और अगले दिन अपने आसियाने के लिए लौट जाये यकीन मानिये ये यात्रा आपकी जीवन भर की सबसे खूबसूरत पलो में से एक होगी ।

गंगासागर कैसे जाये ?

दोस्तों गंगासागर धाम की यात्रा तक पहुंचने के लिए आप चाहे किसी भी ट्रांसपोर्ट सुबिधा से आये जैसे- बस , ट्रैन ,हवाई जहाज आपको सबसे पहले आना होगा पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता तक और यहाँ से लगभग 130 किलोमीटर सफर बस तथा जल जहाज में द्वारा तय करनी होगी ।

कोलकाता से गंगासागर कैसे जाएं

  • कोलकाता से 90 किलोमीटर का सफर बस के माध्यम से तय करना पड़ता है जो की बस बाला आपको नामखाना नामक स्थान पर पंहुचा देगा जो की ये स्थान दक्षिण 24 परगना जिले के काशीनगर, लॉट न. 8 में स्थित है ।

गंगासागर का नजदीकी रेलवे स्टेशन हावड़ा है और एयरपोर्ट सुभासचंद्रबोष इंटरनेशनल एयरपोर्ट जो की कोलकाता में स्थित है

  • दोस्तों अब इसके आगे का सफर बया क्रूज (यानि की जल जहाज ) के माध्यम से कचुबेरिया आईलैंड तक करना पड़ता है
  • जिसमे लगभग लगभग 4 घंटे का समय समंदर के रास्ते में गुजर जाता है और ये रास्ता बड़ा हसीन होता है क्योंकि आपके चारो ओर पानी ही पानी नजर आता है ।
  • कचुबेरिया आईलैंड पहुंचने के बाद गंगासागर को दूरी मात्र 30 किलोमीटर रह जाती है और यहा से बस या टैक्सी लेकर डायरेक्ट गंगासागर के लिए प्रस्थान कर सकते है ।

गंगासागर मेला कहाँ लगता है

गंगासागर में कपिल मुनि आश्रम के पास हर वर्ष मकर संक्राति के दिन मेला लगता है जो प्रायः 5 दिनों तक चलता रहता है जिसमे लाखो करोडो श्रद्धालु माँ गंगा में डुबकी लगाकर और कपिल देव के दर्शन करके अपने पाप और पुण्य के भागी बनते है।

गंगासागर कब जाना चाहिए ?

दोस्तों गंगासागर दर्शन के लिए जो सबसे अच्छा समय होता है वो ऑक्टूबर से फरवरी तक का होता है क्योंकि सर्दियों के समय में गंगासागर में काफी शानदार माहौल होता है और इस बीच हर वर्ष 14 जनवरी यानि की मकर संक्राति के दिन विशाल मेला लगता है जिसमे करोडो श्रद्धालु गंगा माँ में डुबकी लगाकर अपने पापो को धुलते है ।

यही अगर आप गर्मियों के मौसम में गंगासागर घूमने जाते है तो गर्म मौसम के बजह से चिलमिलाती धुप थोड़ा गंगासागर की यात्रा में परेशान कर सकती है ।

गंगासागर में रुकने और खाने की क्या व्यबस्था है ?

अगर हम गंगासागर धाम में रुकने की बात करे तो वहां पर ढेर सारे होटल मौजूद है जिसका चार्ज आपको 600 से 5000 तक के बजट तक का होटल उपलब्ध है जिसे आप अपने बजट के हिसाब से होटल बुक कर सकते है ।

दूसरा बिकल्प है अगर आप सस्ते बजट में रुकना चाहते है तो कपिल मुनि मंदिर ट्रस्ट की तरफ से वहां पर धर्मशालाए बनी हुयी है जिसका प्रतिदिन का किराया 300 से 500 के बीच होता है और एक रूम में बड़े आराम से 3 लोग रह सकते है ।

अब बात आती है की वहां खाने की क्या व्यबस्था है तो – खाने की बात करे तो के वहां आस पास बहुत सारे रेस्टोरेंट मौजूद है जहाँ आप अपना 100 रूपए थाली भोजन ग्रहण कर सकते है ।

गंगासागर यात्रा में खर्च कितना लग सकता है ?

दोस्तों अगर आप 1 दिन का टूर ट्रिप बनाते है और एक रात वहां रुककर दर्शन करते है तो एक व्यक्ति का खर्चा 1200 से 1500 रूपए तक लग सकता है ।

वही अगर आप मिलिनियम द्वीप से गंगासागर तक जल जहाज के माध्यम से जाना चाहते है तो ये खर्च अलग से बढ़ जायेगा क्योंकि जहाज का किराया ही 1200 से 1500 तक लग जायेगा ।

गंगासागर में किसका मंदिर है

गंगा नदी गंगोत्री से निकलकर हरिद्वार के रास्ते से होते हुए काशी , इलाहबाद और बिठूर के रास्ते से बहती हुयी बंगाल की खाड़ी में सागर से मिलती है जहाँ भगवान वृष्णु जी के अंश कपिल मुनि का मंदिर मंदिर , चंदनपीड़िवन में एक जीर्ण मंदिर है और बुड़बुड़ीर तट पर विशालाक्षी का मंदिर जिसका हिन्दू तीर्थ में विशेष महत्त्व है ।

निष्कर्ष –

आशा करता हु गंगासागर यात्रा का यह लेख आपको पसंद आया होगा इस आर्टिकल में हमने गंगासागर की कहानी से लेकर गंगासागर कब जाये , कैसे जाये , कहाँ रुके, दर्शन कैसे करे और गंगासागर की यात्रा में कुल खर्च कितना लग सकता है इन सभी सबालो के जबाब मिल गया होगा ।

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