श्री कृष्ण के आराध्य देवी और साक्षात् माँ लक्ष्मी का स्वरूप राधा की जन्म स्थली भूमि बरसाना में घूमने की जगह और यहाँ के प्रसिद्द दार्शनिक स्थल को हिन्दू तीर्थ स्थलों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है ।
बरसाना में राधा जी का जन्म हुआ था और यहाँ पर होली , जन्माष्ठमी , और राधा अष्ठमी बड़े धूम धाम से मनाया जाता है । ब्रज धाम के 84 कोस में बसा बरसाना धाम भारत में उत्तर प्रदेश के मथुरा जिला में स्थित है।
जहाँ श्री कृष्ण और राधा रानी की जन्म स्थली है राधा कृष्ण ने जन्म लेकर धरती लोक को धन्य किया था उन्होंने यही पर अपने बालपन की सभी लीलाये तथा रास लीला किये थे।
मथुरा जिला के अंदर ब्रज धाम चौरासी कोस में बरसाना में घूमने की जगह में मथुरा ,वृन्दावन , गोकुल , गोवर्धन , बरसाना और नन्द गांव आते है जहाँ राधा कृष्ण ,गोपियों और बाल सखायो संग कई लीलाये करि थी।
बरसाना और नन्द गांव में किशन कन्हैया और लाड़ली राधा ने अनपे बचपन के कई साल बिताये यही पर राधा कृष्णा का मिलन हुआ फिर प्रेम और फिर सभी लीलाये बरसाना में हुयी चाहे वो रास लीला , मटकी फोड़।
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बरसाना में घूमने की जगह
ब्रज भूमि में बहुत सी ऐसे रहस्य्मयी घटनाये है जिसे सुनकर ज्यादा लोगो को विश्वास नहीं होता परन्तु मथुरा आने के बाद उन्हें इसका अहसास हो जाता है की मथुरा में बरसाना बाकई में दैविक और सिद्ध जगह है ।
ब्रह्मा जी के हजारो बर्षो के तपस्या करने बाद माता राधा ने उन्हें ब्रज धाम की धरती में स्थान दिया जो आज ब्रह्मांचल पर्वत के नाम से जाना जाता है ।
चलिए आज हम जानते है राधा जन्म स्थली यानि की ब्रज धाम की यात्रा तथा बरसाना में घूमने की जगह और इनसे जुड़े रहस्य के बारे में जो आज भी बहुत से लोगो रहस्य ही है –
1. राधा रानी मंदिर बरसाना
द्वापर युग में पृथ्वी लोक को पवित्र करने के लिए मानव स्वरुप में माता लक्ष्मी ने राधा के रूप में बरसाना की धरती पर जन्म लिया था ।

राधा रानी का जन्म श्री कृष्ण के जन्म से पूर्व 3 बर्ष और 11 महीने पहले बरसाना के राजा बृजभानु और माता कीर्ति के घर जन्म लिया था। इनका जन्म कीर्ति के गर्व से नहीं हुआ था बल्कि ये एक बालिका के रूप में दैवीय रूप से प्रकट हुयी थी ।
ब्रज भूमि में बरसाना का सबसे प्रसिद्द स्थान है राधा रानी मंदिर बरसाना में सबसे ज्यादा श्रद्धालु आते है बरसाना के इस मंदिर तक पहुंचने से काफी दूर पहले से ही पहाड़ी पर बना यह भव्य मंदिर दिखाई पड़ने लगता है ।
पहाड़ी गलियारों के सिखर पर बना भव्य मंदिर तक पहुंचने के लिए दर्शनार्थियों को सीढ़ियों के माध्यम से मंदिर तक जाना होता है राधा मंदिर तक पहुंचने के लिए 2 रास्ते है पैदल रास्ता और यदि आप बाइक से है तो टेम्पल तक गांव के रास्ते बड़े आसानी से जा सकते है ।
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2. कीर्ति मंदिर
बरसाना में कीर्ति मंदिर को रंगीली महल के नाम से भी जाना जाता है मंदिर परिसर के अंदर बनी सुन्दर झांकियो के माधयम से कलाकृतियों को राधा कृष्ण के जीवन लीला को बड़े सुन्दर ढंग से मूर्ती रूप में चित्रित किया गया है ।

बरसाना में भारत का इकलौता कीर्ति मंदिर है इसका निर्माण जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज के द्वारा करवाया गया है कीर्ति मंदिर के गर्व गृह में राधा की माँ यानि की कीर्ति जी विराजमान है ।
आधुनिक विज्ञानं युग में निर्मित इस मंदिर की भव्यता और खूबसूरत कलाकारी बरसाना में घूमने की जगह देखने के लिए दर्शनार्थी का साल भर आना जाना लगा रहता है ।
मंदिर परिसर के भीतर सुन्दर झांकिया जिसमे राधा कृष्णा और उनकी सखिया समेत विराजमान प्रतिमाओं में जीवंत लगती है । झांकियो को पास से देखने में ऐसा लगता है की मूर्ति बोल पड़ेंगी ।
3. नन्द गांव बरसाना
नन्द महल में दर्शनर्थियो वा पर्यटकों को कान्हा के पूरे परिवार और सखायो को एक साथ देख सकते है ऐसा अद्भुत और दुर्लभ दृश्य आपको कही नहीं देखने को मिलेगा बरसाना में नन्द गांव को माता राधा रानी की ससुराल भी कहा जाता है
ये मंदिर नन्द और यशोमा मैया का आज से करीब 5 हजार बर्ष पहले यशोदा मैया और बाबा नन्द का घर हुआ करता था । मंदिर के गर्व गृह में यशोदा मैया , नन्द बाबा और श्री कृष्ण के बाल सखा और राधा रानी के अलाबा बलराम और उनकी माता और पत्नी सभी एक साथ सुन्दर मूर्तियों में विराजमान है ।
ऐसा अद्भुत और अलौकिक दर्शन आपको बरसाना के अलाबा पूरे भारत में कही नहीं देखने को मिलेंगे । राधा टेम्पल से लगभग 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नन्द गांव जहाँ भगवान श्री कृष्ण ने यशोदा माता के और नन्द के घर अपनी सुन्दर बाल लीला किये थे।
4. दोउ मिलवन
भगवान कृष्ण और राधा रानी बरसाना के दोउ मिलवन नामक स्थान में पहली बार मिले थे बरसाना के नन्द गांव में स्थित दोउ मिलवन नाम की जगह है जहाँ अपने बाल्य काल में राधा और श्याम का पहली बार एक दुसरे से मिलन हुआ था इसी लिए इस जगह का नाम दोउ मिलवन है ।
ये जगह नन्द गांव में ही पड़ती है आप चाहे तो बरसाना में घूमने की जगह ट्रिप में दोउ मिलवन को अपने दार्शनिक स्थल में शामिल कर सकते है ।
5. मोर कुटी बरसाना
एक बार राधा रानी और कृष्ण ने मोर के स्वरुप में मनमोहक नृत्य किया था उसके दर्शन ब्रह्मांचल पर्वत पहाड़ी पर मोर कुटी में होते है जहाँ आपको इनके अनन्य प्रेम का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है ।
ब्रह्मा जी के हजारो बर्षो की कठोर तपस्या के बाद राधा ने उन्हें पृथ्वी लोक ब्रज धाम में ब्रह्मांचल पर्वत की उत्पत्ति की थी जहाँ आज भी भ्रह्म जी बॉस करते है ।
मोर कुटीर तक पहुंचने के लिए ब्रह्मांचल पर्वत पहाड़ी के गलियारों से चलते हुए दर्शनार्थी राधे राधे का ज्ञाप करते हुए ब्रज धाम के मोर कुटी पर्वत की श्रृंखला तक पहुंचते है जहाँ उन्हें ब्रह्मा जी के दर्शन होते है ।
आप इससे यहाँ पर इसकी अनुभूति कर सकते है की किस प्रकार राधा कृष्ण यहाँ पर मोर के रूप में नाचें होंगे ।
6. गहवर वन
यहीं से निकला राधा कृष्ण का रास मंडल इस वन में हीं राधा कृष्ण जी का शृंगार करती थी । ब्रह्मांचल पहाड़ी पर बने इस मंदिर के बारे में कहते है की राधा रानी अपने कन्हैया का श्रृंगार किया करती थी ।
पौराणिक कथाओं में रसिक और स्वामी हरिदास जी ने गहवर वन की लीलाओं का बड़े सुन्दर शव्दो में इस वन का वर्णन किया है ।
गहवर वन की बॉस की आस करे शिव शेष । बाकि महिमा कोइ कहे यहाँ श्याम धरे सखी वैश ।।
गहवर वन के देखने के स्थान
- मोर कुटी
- गोपसवन्त महादेव मंदिर
- मान बिहारी मंदिर
- रास मंडल
- रास सरोवर
- गोपी महल
निकुंज गहवर वन में प्राकृतिक हरियाली के साथ राधा जी की 8 सखियाँ की मूर्तियां जीवंत जैसे लगती है जो यहाँ आने बाले पर्यटकों को मंत्र मुग्ध कर देता ।
7. कुशल बिहारी मंदिर
बरसाना के प्रसिद्द मंदिरो में कुशल बिहारी यानि की कृष्ण का बांके बिहारी स्वरुप का मंदिर जो यहाँ का सबसे ज्यादा प्रसिद्द मंदिरो में से है जहाँ आपको श्री कृष्ण के दर्शन मिलेंगे ।
8. मान मंदिर बरसाना चिकसौली गांव
बरसाना के मान मंदिर की ऐसी मान्यता है की एक बार राधा रानी कान्हा से रूठ कर एक गुफा में आकर बैठ गयी थी उन्हें ढूढ़ते हुए श्री कृष्ण जी जब यहाँ पहुंचते है तो उन्हें मानाने के लिए प्रेम रूप से राधा जी के चरणों के पास बैठ गए थे ।
एक बार राधा ने कृष्ण से कहा की कान्हा आज मै कैसी लग रही हु तो किशन ने जबाब में बोले की सुन्दर मुख का स्वरुप चन्द्रमा की भांति लग रहा है तो राधा ने कहा की आपने हमें चन्द्रमा से क्यों तुलना की उसमे तो दाग है इसी बात पर नाराज होकर राधा जी एक गुफा में जाकर बैठ जाती है तब अपनी राधिका को ढूढ़ते हुए श्री कृष्ण जी ने इसी गुफा में मानाने बैठे थे इसीलिए इसे मान मंदिर कहते है ।
बरसाना के इस प्राचीन मंदिर में श्रद्धालुओं को राधे श्याम की अनन्य प्रेम की स्टफिक शिला के दर्शन गुफा के अंदर होता है ।
जब भी आप मथुरा के बरसाना में घूमने की जगह विजिट करने लिए जाये तो चिकसौली गांव में स्थित मान मंदिर और वहां की गुफा देखनेअवश्य जाये ।
9. प्रिया कुण्ड – पीरी पोखर बरसाना का दार्शनिक स्थल
पीली पोखर श्री राधा रानी ने धोये अपने मेहंदी के हाथ आज भी इस झील का पानी हमेशा मेहंदी के कलर का रहता है सदैव जलाशय के रूप भरा रहता है ।
ब्रज की ये धरती कदम कदम पर राधा कृष्ण के अनन्य प्रेम के साक्षी है जिसमे से एक पीली पोखर बरसाना में प्रसिद्द है राधा जी ने अपने बाल स्वरुप में विवाह के उपरांत श्री कृष्ण के नाम की मेहंदी से भरे हुए हांथो को धोने के लिए स्वयं अपने हांथो से जल की धार प्रकट की थी और इस सरोवर की उत्पत्ति हुयी ।
इस 40 फिट गहरी सरोवर की ऐसी मान्यता है की सरोवर के पानी को कई बार पूरी तरह से खाली कर दिया गया लेकिन इसमें जब दुबारा पानी भरता है तब भी उसका रंग मेहंदी के कलर का ही रहता है ।
10. सांकरी खोर बरसाना
सांकरी खोर आज भी इस पर्वत से आती हैं दूध दही की खुशबू जहाँ श्री कृष्ण ने चंद्रावली की मटकी फोड़ी जिस जगह मटकी तोड़ी जाती थी उस पहाड़ी के शिला से आज भी दूध दही की खुशबु महसूस कर सकते है
इसी पाहडी के सिखर पर बैठकर भगवान् श्री 16 गांव की निगरानी किया करते थे जहाँ से गोपिया दही की मटकी लेकर निकलती थी सबसे पहले गोपियों से उनके सखायो के द्वारा दही दान करने के लिए कहा जाता था यदि यो मक्खन देने से इंकार करती तो उनकी मटकिया फोड़ दिया करते ।
मटकिया केवल इसी भाव से तोड़ी जाती की यदि दूध , दही , मक्खन कंश के वहां ले जायेंगे तो उसके सैनिक थोड़े ताकतवर हो जायेंगे और बृजबाषी कमजोर हो जायेंगे तो समय आने पर जब युद्ध होगा तो ब्रज के सैनिक उनका सामना कैसे कर पाएंगे ।
सकरी खोर पहाड़ी में देखने के लिए भगवान् कृष्ण के बालस्वरूप में श्री कृष्ण पद चिन्ह जिसे मथुरा की धरती में जाकर स्पर्श कर सकते है राधा कृष्ण के पैरो के निशान को स्पर्श करना बहुत भाग्य की बात है ।
इसके अलाबा यहाँ पर कुछ और भी निशान मौजूद है जिनमे , बलराम का नाग शिला , सुरभि गाय का पद चिन्ह , कामधेनु गाय का पद चिन्ह , शिंघ स्वरुप बलदाऊ शिला । सकरी खोह बरसाना और चिकसौली के मध्य स्थित है ।
11.भोजन थाली मंदिर
चौरासी कोस ब्रज के कामवन नामक जगह जो बरसाने से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इस जगह पर भगवान श्रीं कृष्ण और बलराम के दूध पीने के कटोरे देखने को मिल जायेंगे मंदिर के पास स्थित खूबसूरत वन में मोतियों के वृक्ष के दर्शन प्राप्त होंगे ।
मथुरा ब्रज धाम की खास बात यह है की जहाँ – जहां कृष्ण की लीलाये हुयी है वहां पर मोती के वृक्ष जरूर उगे हुए है ।
कामवन में द्वापर युग की कई ऐसी रहस्य्मयी जगह है जहाँ घूमने के लिए और इनके दर्शन करने हेतु आपको प्रकृति के सौंदर्य वातावरण में देखने को मिल जाएगी ।
भोजन थाली मंदिर का रहश्य
कहते है कन्हैया यहाँ पर चोरी के दूध पी रहे थे की अचानक से दूध का कटोरा गिरा और दूध की धार बहती हुई नीचे की तरफ गयी जहाँ जहां दूध की धार बहती हुयी गयी उसके निशान विशाल चट्टानों में आज भी देखने को मिलते है ये उस समय की साक्ष घटनाओं में से एक है । जिससे यही पर खीर सागर का निर्माण हुआ ।
12.फिसलनी शिला
पूरे ब्रज मंडल में इस स्थान का काफी ज्यादा महत्त्व है पहाड़ी के सिखर से ढ़लानी चट्टानों पर शिला में उकेरी हुयी फिसलने की जगह जिसका कन्हैया के द्वारा निर्माण किया गया था ।
फिसलनी शिला बरसाना से 13 और भोजन थाली मंदिर से 3 किलोमीटर की दूरी पर ये प्राचीन चिन्ह बनी हुयी है । कान्हा और उनके ग्वालबाल सखायो के फिसलने का निशान है जिसका धार्मिक महत्त्व बहुत ज्यादा होता है ।
13. रंगीली गली
बरसाने में राधा और उनकी अष्ट सखियों संग होली खेलने के लिए कान्हा अपने बाल स्वरुप में सखायो के साथ बरसाना के इसी ऐतिहासिक गली में रंग पंचमी मानाने जाते थे जो आज के विकास के दौर में भी मौजूद है
बरसाने की ये पतली रंगीली गली पर्यटकों को होली आमंत्रित करती है ।
14. राधा कृष्ण बाग़
बरसाना पर्यटन में राधा मंदिर के दर्शन के बाद भक्त निकल पड़ते है अपने अगले पांडव की तरफ राधा कृष्ण बाग जहाँ आपको आज भी भगवान श्री कृष और राधा की प्रेम लीला के साक्षात् दर्शन होते है ।

बाग़ में स्थित अनेको पेड़ पौधे उनमे से कुछ वृक्ष आज से लगभग 5 हजार बर्ष पुराने है जो द्वापर युग के समय के माने जाते है जो आज भी राधा कृष्ण के प्रेम लीला के साक्षी है ।
एक प्राण दो देहि – जो कहाबत है राधा ही कृष्ण है और कृष्ण ही राधा है बरसाना दार्शनिक स्थल में राधा कृष्ण बाग़ में मौजूद पीपल और मोरछली के 2 वृक्ष युगल रूप पेड़ है जो आपस में एक दुसरे में सम्मिलित हो रहे है ।
ब्रज के इस पेड़ के बारे में ऐसी कहाबत है की एक बार इस स्थान पर प्रभु और माता राधा बैठे हुए थे और घूप बहुत तेज थी जिससे राधा रानी को घूप से बचने के लिए कृष्ण ने इस पेड़ को उत्पन्न किया था । इसी बजह से बरसाना में इस पेड़ का अस्तित्व द्वापर युग से माना जाता है ।
15. ललिता सखी मंदिर बरसाना
श्री कृष्ण की आराध्य देवी और परम शक्ति राधा रानी और उनकी 8 सखियों के बिना ब्रजमंडल की लीला अधूरी है अष्ट सखी में सबसे बड़ी ललिता जो राधा से 2 दिन बड़ी थी ।
ललिता देवी का मंदिर बरसाना स्थित ऊँचा गांव में पड़ता है जहाँ ललिता के जन्म दिन बड़े धूम धाम हर्षोल्लाष के साथ मनाया जाता है । दर्शनार्थी बरसाना में घूमने के लिए यहाँ भी पहुंचते है
दर्शनार्थियों के लिए इस मंदिर में पूजा अर्चना का बहुत महत्त्व दिया गया है क्युकी राधा की जेष्ठ सखी है और राधे के भक्त उनकी सखी के भी दर्शन के लिए जाते है ।
16. चित्रासखी मंदिर बरसाना
बरसाना के चिकसौली गांव में कलाप्रेमी चित्रा जो राधा रानी की सखी थी उनके मंदिर का दर्शन होता है पुराणों में कहा जाता है की कृष्ण जी की सर्व प्रथम प्रतिमा राधा की सखी चित्रा जी ने ही बनाया था ।
चित्रशाखी मंदिर का रहश्य :- कहते है एक बार राधा के भाई के ने यशोदा मैया से भगवान श्री कृष्ण का चित्र मांगे तब यसोधा ने इस सखी को बुला कृष्ण की बड़ी सुन्दर छवि बनाने के लिए बोलती है और उसके बदले में चित्रशाखी को मनमाँगा वचन देती है ।
तब चित्रा ने यशोदा से कहा की मैया मुझे कान्हा को दे दो ये सुनकर वचन बद्ध यसोदा मैया मूर्छित हो गयी वो भला कैसे अपने लाडले को किसी और के हवाले करती जिससे यसोदा अनन्य प्यार करती थी ।
तब भगवान कृष्ण ने चित्रशाखी से कहा की आप अपने वचन मैया से वापस लौटा लो उसके बदले में मै वचन देता हु की एक रूप में मै आपके कुंज में हमेशा निवास करूँगा ।
बरसाना में घूमने की जगह चित्रशाखी मंदिर में राधे श्याम की सेविका के रूप में चित्रशाखी के दर्शन प्राप्त होते है । मंदिर के अलाबा यहाँ पर प्राकृतिक नैसर्गिक वातावरण के बीच सुन्दर बगीचा मौजूद है चाहे तो यहाँ पर कुछ समय विश्राम कर सकते है ।
17. चंपकलता सखी मंदिर
चम्पक लता पूरे ब्रज मंडल में मिट्टियो के बर्तन बनाने में निपुड़ थी । इनकी जनम भूमि संकेत हैऔर करहला इनका ससुराल था।
चंपक लता कंगन कुंड यहाँ से निकला द्वारकाधीश का विग्रह जिसके दर्शन आज भी यहाँ होते हैं चम्पकलता मंदिर बरसाना से 6 किलोमीटर दूर करहला गांव में बना हुआ है ।
18. रंग देवी
राधा की चौथी सखी रंग देवी थी यह सखी कान्हा के चित्रों में रंग भरकर उन्ही राधा संग खूब रिझाती थी इस मंदिर का महत्त्व है की राधा रानी संग इनकी लीला श्याम जी को रिझाती या चिढ़ाती थी। यह मंदिर बरसाना में स्थित है ।
19. प्रेम सरोवर
प्रेमसरोवर – जहाँ श्री कृष्ण से मिलने आया करती थी राधा रानी नन्द गांव से बरसाना रोड पर गाजीपुर गांव में स्थित प्रेम सरोवर जहाँ सुदामा कुटी के भी दर्शन प्राप्त होते है ।

कृष्ण का गांव नन्द गांव और राधा का बरसाना उसके मध्य में स्थित गाजीपुर में स्थित प्रेम सरोवर जहाँ हर दिन कृष्ण और राधा मिलने के लिए आते थे ।
गर्ग पुराण के अनुसार -एक बार किशोरी राधा रानी यहाँ श्याम सुन्दर से यहाँ मिलने आयी और उस दिन श्याम नहीं आये तो उनके वियोग में राधा ने बहुत आँशु बहाये और उनकी आँशु की धरा से इस सरोवर का निर्माण हुआ ।
कहते है की जो श्रध्हलु प्रेम सरोवर के दर्शन करता है उनको किशोरी राधा श्री चरणों के दिव्य भक्ति प्राप्त होती है ।
प्रेम सरोवर के पास में ही सुदामा कुटी के भी दर्शन कर सकते है .
20. रतन कुंड श्याम शिला
बरसाना के श्याम शिला और रतन कुंड में आज भी मौजूद है श्री कृष्ण कि श्याम शिला जहाँ कान्हा बैठकर बंसी बजाया करते थे पहाड़ी के ऊपर से कान्हा बासुरी की मधुर धुन बजाते और बंसी की धुन सुनने के लिए सारा ब्रज मंडल उमड़ पड़ता ।
राधा ब्रज की सभी गोप गोपिया ,गाय , पशु , और पक्षियां बंसी की धुन सुनते ही दौड़े चले आते । इसी स्थान के पास पड़ता है रतन कुंड
रतन कुंड के बारे में ऐसी मान्यत है की लाड़ली राधा रानी ने यहाँ मोतियों को बोया था कहा जाता है जब राधा रानी के घर से भगवान कृष्ण के लिए रिश्ता जाता है नन्द गांव — तो स्वीकृति के रूप में राधा के पिता वृषभानु जी ने मोतियों के काफी सारे हार भेजते है ।
नन्द गांव में रिश्ते की स्वीकृति के बाद नन्द और यशोदा जी ने और मोती मिलाकर बरसाना को उपहार के तौर में भेजा था तब उन सभी मोतियों को राधा रानी ने रतन कुण्ड में बोई थी उसी जगह को आज रतन कुंड कहा जाता है । इस जगह में मोतियों के पेड़ो से पूरा जंगल भरा हुआ है ।
उन्ही मोतियों को श्री कृष्ण जी ने नन्द गांव में बोया था जिसे मोती कुंड कहते है ।
बरसाना की होली
होली तो पूरे भारत में मनाई जाती है लेकिन शुरुआत बरसाना से ही होती है। फागुन मॉस की शुक्ल पक्ष की नवमी को नन्द गांव के पुरुष रंग गुलाल के साथ लाड़ली राधा के जन्म स्थान बरसाना आते है और वहां की महिलाओं के साथ होली खेलते है जहां उनकी स्वागत लड़किया और औरते लट्ठे डंडे के साथ तैयार होकर करती है ।
बरसाने की होली पूरे भारत ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण दुनिया भर में प्रसिद्द है इसीलिए तो होली से पहले ही यहाँ की बड़े जोरो शोरो के साथ तैयारी की जाती है और देश भर से लोग अपनी होली के त्यौहार को यादगार बनाने के लिए बरसाना आते है । और प्रेम पूर्वक यहाँ की होली एन्जॉय करते है ।
अगर आपने अभी तक बरसाना की होली नहीं देखी और ना ही खेली तो एक बार होली के समय बरसाना में रंग गुलाल लेकर जरूर आईयेगा ।
मै वादा करती हु की बरसाना की होली आपके जीवन के सबसे खूबसूरत अनुभवों में से एक होगी ।
होली के दिन सुबह से ढोल नगाड़े और गोप और गोपियों संग नाच गाने करने के साथ आने बाले सभी श्रद्धालु प्रेम भावना से एक दुसरे के साथ रंगो के त्यौहार को खूब एन्जॉय करते है ।
होली के अगले दिन यानि के शुक्ल पक्ष दसवीं के दिन बरसाने के पुरुष नन्द गांव जाते है यानि की कान्हा के गांव और फिर वहां की लड़कियां और पुरुष होली खेलते है
अब समझ आया बरसाने के होली पूरे विश्व में क्यों प्रसिद्द है होली के साथ लट्ठ मर पिटाई , कुटाई मिठाई , और ठंडाई ।
लड्डू होली बरसाना
बरसाना की होली में केबल रंग और गुलाल ही नहीं उड़ाया जाता ब्लकि यहाँ पर मंदिर प्रशासन की तरफ से लड्डू का प्रसाद भी रंग गुलाल की तरह ऊपर फेका जाता है और दर्शनार्थी प्रसाद के रूप में ग्रहण करते है ।
बरसाना घूमने कब जाये ?
वरसाना घूमने के लिए वैसे तो साल भर पर्यटक आते रहते है लेकिन बरसाना घूमने का सबसे सही समय राधा अष्ठमी , कृष्ण जन्माष्ठमी , और होली के समय बरसाना घूमने के लिए सबसे ज्यादा शैलानी इन्ही तीन दिनों में आते है ।
रुकिए थोड़ा ,,लेकिन इन दिनों बरसाना आने के लिए पहले से ही होटल बुक करना पड़ता है क्योकि सभी होटल के एडवांस बुकिंग चलती है ।
बरसाना क्यों प्रसिद्द है ?
बरसाना प्रसिद्द है राधा रानी जन्म स्थली , कृष्ण रास लीला और यहाँ की लट्ठ मार होली के लिए जिसे देखने के लिए शैलानी भारत के कोने कोने से बरसाना और नन्द गांव की गोपियों संग होली उत्सव मानाने के लिए आते है ।
बरसाना में द्वापर युग की रहस्य्मयी जगह देखने के लिए जगह -जगह पर मंदिर और राधा कृष्ण की लीलाओं के स्थान है जिसके दर्शन के लिए पर्यटक बरसाना आते है ।
बरसाना कैसे जाये ?
बरसाना में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है लेकिन बरसाना मथुरा जिला के अंतर्गत आता है और मथुरा नगरी पूरे भारत से रेलवे के द्वार जुड़ा हुआ है जहाँ सभी मुख्य शहरो से ट्रैन का आवागमन रोज होता है ।
जो रेलगाड़ी दिल्ली से मथुरा आती है उनके रास्ते में कोशिकाला रेलवे स्टेशन पड़ता है यदि आप बरसाना आना चाहते है कोशिकाला में उतरना पड़ेगा यहाँ से बरसाना की दूरी मात्रा 19 किलोमीटर पड़ती है जो टैक्सी के द्वारा तय कर सकते है ।
यदि हवाई यात्रा की बात करे तो यहाँ पर कोई एयरपोर्ट नहीं है लेकिन दिल्ली नजदीक होने की बजह से इसकी कमी महसूस नहीं होती ।
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Faq : बरसाना के बारे में पूछे जाने बाले प्रश्न?
Q.1 बरसाना क्यों प्रसिद्द है ?
बरसाना प्रसिद्द है राधा रानी जन्म स्थली , कृष्ण रास लीला और यहाँ की यहाँ की लट्ठ मार होली के लिए जिसे देखने के लिए शैलानी भारत के कोने -कोने से बरसाना और नन्द गांव की गोपियों संग होली उत्सव मानाने बरसाना घूमने आते है ।
Q.2 बरसाने में कौन कौन से मंदिर हैं?
वैसे तो पूरे बरसाना में अनेको नेक मंदिर है लेकिन उनमे से सबसे ज्यादा प्रसिद्द मंदिरो में:-
1.राधा रानी जन्म स्थली मंदिर
2.कीर्ति मंदिर
3.बांके बिहारी मंदिर
4.नन्द गांव का मंदिर
5.मान मंदिर
6.भोजन थाली मंदिर
7.दोउ मिलवां मंदिर
8.मोर कुटी
9चित्र सखी मंदिर
10.ललिता मंदिर
दोस्तों बरसाना तीर्थ स्थल के सभी दार्शनिक स्थानों को इस लेख में बताया गया गया है और साथ में बरसाना में घूमने की जगह कौन -कौन है इन सभी स्थानों के अलाबा भी अगर कोई जगह छूट रही हो तो हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताये ।
अगर आप अभी तक मथुरा , वृन्दावन , गोकुल और बरसाना घूमने नहीं आये तो एक बार जरूर आईयेगा और ब्रज मंडल की खूबसूरती को अपनी आँखों से देखिये यहाँ की ऐतिहासिक बरसाना की होली और बरसाना में घूमने की जगह का तीर्थ कीजिये सच में आप यहाँ आने के बाद द्वापर युग में होने का महसूस करेंगे . बरसाना घूमने की पूरी जानकारी के लिए सभी के साथ इस लेख को शेयर करे ।