रामदेवरा पीर बाबा का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ क्यूंकि कुंती पुत्र अर्जुन के बंशज कोई और नहीं बल्कि बाबा रामदेवरा जी है ।
नमस्कार प्रिय पाठको आगे आप इस लेख में जानेगे रामदेवरा जी मंदिर का दर्शन यानि की रूणिचा धाम जो राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित उनकी यात्रा से सम्बंधित सभी जानकरी जैसे- रामदेवरा मंदिर का इतिहास , पीर बाबा रामदेवरा के दर्शन कैसे करे , रामदेव ने समाधी कैसे ली , रामदेवरा में आस पास घूमने की जगह कौन सी है , रामदेवरा कैसे पहुंचे पहुंचे , कब जाना चाहिए , कहा रुके , दर्शन कैसे करे इन सभी बातो को ध्यान में रखते हुए हमने रामदेवरा यात्रा की सम्पूर्ण जानकरी इस लेख में दी है ।
Table of Contents
रामदेवरा का इतिहास
राजस्थान के जैसलमेर जिला में स्थित रूणिचा धाम जहाँ रामदेवरा जी का मंदिर स्थापित है ये धार्मिक तीर्थ यात्रा से कम नहीं है । अगर हम इतिहास के पन्नो को पलट कर देखे तो जब दुनिया में छोटा बड़ा और छूत अछुत अपने चरम सीमा पर थी तब पीरो के पीर बाबा रामदेव जी का जन्म धरती में जन्म हुआ ।
मध्यकालीन भारत में जब अरब तुर्क और ईरान के मुग़ल शाशको ने हिन्दुओं के साथ अत्याचार कर रहे थे और उनके सभी धार्मिक स्थानों को लगातार नष्ट कर रहे थे इतना ही नहीं हिन्दू धर्म परिवर्तन किया जा रहा था तब हिन्दू मुश्लिम एकता के लिए कई चमत्कारिक सिद्ध साधु संतुओं का जन्म हो चुका था ।
लेकिन पूरे भारत में ख़ुशी की लहर तब आयी जब विक्रम सम्बत 1409 ईस्वी में भद्रा शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन राजस्थान के पोखरन नामक एक छोटे से गांव में छत्रिय कुल में अवतरित हुए एवं इन्होने महज 33 बर्ष की छोटी आयु में कई चमत्कार किये और भद्रा सुदी एकादशी के दिन पीर बाबा रामदेवरा जी ने समधी ले ली ।
छत्रिय होने के बाबजूद भी उस समय इन्होने डाली बायीं नाम की दलित कन्या को गोंद लेकर समाज को सन्देश दिया की कोई भी मनुष्य जाती से छोटा या बड़ा नहीं होता l
उनकी समाधी स्थल पर पर हर वर्ष भद्रा महीने के शुक्ल पक्ष के पंचमी के दिन विशाल मेले का आयोजन किया जाता है जिसमे भारत से ही नहीं बल्कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान और भी कई मुश्लिम देशो से रामदेव मंदिर के दर्शन में शामिल होने के लिए प्रति बर्ष लाखो श्रद्धालु पीर बाबा के समक्ष्य दर्शन के लिए आते है ।
बाबा रामदेव ने केवल हिन्दुओं के साथ हो रहे अत्याचार का ही पक्ष नहीं लिया बल्कि इन्होने दोनों धर्मो के बीच भाईचारा का बढ़ाबा देने का काम किया ।
बाबारामदेव पोखरन के राजा भी रहे लेकिन इन्होने कभी राजा बनकर नहीं अपितु जनसेवक बनकर कार्य किया ।
जानकारी के लिए बता दू की दुनिया भर में प्रसिद्द रुणिका धाम एक मात्र ऐसी जगह है जहाँ हिन्दू और मुश्लिम एक साथ पूजा अर्चना करते है हिन्दुओं के लिए श्रीकृष्ण के अवतार है और मुश्लिम भाईयो के लिए पीरो के पीर बाबा रामदेवरा है ।
इसे भी पढ़े :- ऐसे करे बाबा खाटूश्याम की यात्रा
बाब रामदेवरा के चमत्कार
- एक बार जब बाबा रामदेव जी की पत्नी रानी नेतलद ने अपने पति से पूछा की ये परमेस्वर आप तो सिद्ध पुरुष तो बतईये की मेरे गर्भ में क्या है पुत्र या पुत्री तब उन्होंने बोले की देवी आपके पेट में बच्चा है इसका सबूत देने के लिए रामदेवरा जी ने जैसे ही अपने पुत्र को आवाज दिए वैसे ही बालक अपनी माता के गर्भ बोल उठा ।
बाबा का चमत्कार देखते देखते कुछ ही बर्षो में पूरे संसार में उनकी ख्याति फ़ैल गयी की हिंदुस्तान में कोई पीर जन्म लिया है जो बहुत शक्तिशाली है
- तब उनकी परीक्षा के लिए एक बार मक्का मदीना के पूज्य पांच चमत्कारिक पीरो को बाब रामदेव के समक्ष रुणिका धाम में भेजा गया ।
- उन पीरो की मुलाकात रूणिचा पहुंचने से पहले रास्ते में ही हो गयी एवं उन्होंने रूणिचा में रामदेव पीर के बारे पूछे तो बाबा ने बताया की मै ही रामदेव हु बताइये मै आपकी क्या सेवा कर सकता हु इतने में वो सभी पीर हसने लगे और उनका अपमान करने लगे की ये साधारण मानव पीर कैसे बन सकता है ।
- तब रामदेव ने उन्हें अतिथि भाव से भोजन के लिए आमंत्रित किया जब वो सभी बाबा के घर पहुंचते है एवं उनके लिए भोजन की थाली परोसी जाती तब उन पांचो पीर बोले की हम तो अपने भोजन के कटोरे मक्का में ही छोड़ आये।
- हम अपने ही कटोरे में खाएंगे अगर आपको हमारी मेहमान नवाजी करनी है तो हमारे कटोरे मक्का से मंगवा दीजिये तब बाबा रामदेवरा जी ने अपने दिव्य आलोकिक शक्तियों से उनके कटोरे मक्का से माँगा दिए जिस पीर का जो कटोरा था उसके सामने रखा गया बाबा जी के इस चमत्कार को देखने के बाद सभी पीर सन्न हो गए थे तब उन पीरो ने कहा आप तो पीरो के पीर है.
- एक बार एक सेठ को कुछ लुटेरों ने मार डाला था तब सेठाइन ने जोर से रोते हुए बाबा का ध्यान किया और बाबा अदृश्य रूप से प्रकट हुए और उस सेठ का कटा हुआ गला पुनः से जोड़ दिया तब से रामदेवरा बाबा की चर्चा पूरे लोको में होने लगी ।
इसी तरह की अनगिनत चमत्कार बाबा ने अपने जीवन में किया जिसके कारण आज भक्त उन्हें उनके दरवार में पहुंचकर अपनी बिगड़ी बनाने की गुहार लगते है ।
इसे भी पढ़े : माँ वैष्णो देवी यात्रा की सम्पूर्ण जानकारी
रामदेव जी का समाधि स्थल
रूणिचा धाम में बाबा ने जिस स्थान पर समाधी ली थी ठीक उसी थान पर बीकानेर के राजा गंगा सिंह ने भव्य मंदिर का निर्माण कराया इस मंदिर में रामदेव बाबा की समाधी के अतिरिक्त उनके परिवार बालो की भी समाधी है ।
मंदिर परिसर के भीतर बाबा रामदेव की समाधी के अलाबा उनकी बहन डालीबाई की समाधि और उनके कंगन एबं रामझरोखा भी मौजूद है ।
रामदेव ने समाधी कैसे ली ?
विक्रम सम्बत 1442 को रामदेवरा जी ने अपने हाँथ से श्रीफल लेकर सब बड़े बूढ़ो को प्रणाम किये तथा सब ने बेल पत्र और फूल चढ़ाकर श्रद्धाभाव से अंतिम पूजा किया ।
बाबा रामदेव जी ने अपनी अंतिम बिदाई के समय वहां मौजूद सभी भक्तो से समाधी स्थल पर मंदिर बनबाने एवं प्रतिबर्ष भाद्र मॉस के शुक्ल पक्ष के द्वितीय से पंचमी तक उसी स्थान पर विशाल मेले का सन्देश दिया ।
उनके द्वार बोली गयी अंतिम लाइन की मेरे इस स्थल में किसी भी प्रकार का भेदभाव मत करना मै सदैव अपने भक्तो के साथ रहुगा इतना कहने के बाद उन्होंने जीवित समाधी ले ली ।
रामदेवरा यात्रा का सबसे अच्छा समय ?
जैसे की आपको पता ही होगा की राजस्थान में ग्रीष्म काल में अत्यधिक गर्मी होती है तो जो गैर राजस्थानी निवासी है उनके लिए बहुत ज्यादा तकलीफ हो जाती है ।
क्योंकि वहां की गर्मी हर किसी को रास नहीं आती इसीलिए इस मौसम को छोड़कर किसी भी समय रामदेवरा मंदिर के दर्शन करने जा सकते है ।
रामदेवरा में मेला कब लगता है ?
रामदेवरा का मेला पूरा भारत ही नहीं बल्कि आस पास के मुश्लिम देशो में भी काफी विख्यात है और मेला भद्रा माह ( अगस्त )में शुक्ल पक्ष के द्वितीय से कई दिनों तक चलता है दिन लगता है । मेले के समय पूरे शहर को सजाया जाता है और उस समय यहाँ का दृश्य काफी शानदार हो जाता है ।
इस दौरान अगर आप रामदेवरा जी के दर्शन करने जाते है तो अत्यधिक भीड़ होने के बजह से 5 से 6 घंटे लाइन में लगना पड़ता है और यदि आप दूर से आ रहे है तो एक दिन रुककर दर्शन करना होता है ।
यह भी देखे : गंगासागर यात्रा की जानकारी
रामदेवरा में कहाँ रुके ?
रूणिचा धाम में यात्रियों को रामदेवरा मंदिर परिसर के आस पास कई होटल मौजूद है जहाँ अपने ठहरने के लिए होटल बुक कर सकते है जो की 400 से 700 के बीच अच्छे रूम मिल जाते है ।
रामदेवरा के आस पास घूमने की जगह
चलिए अब जानते है रामदेवरा के आस पास के पर्यटन स्थल –
1. डाली बायीं समाधी
रामदेवरा मंदिर परिसर के अंदर में ही डालीबाई की समाधी जो की उनकी मुँह बोली बहन भी लगती है आप वहां भी जाईये उनके दर्शन करिये ।
डालीबाई की समाधी के पास एक कंगन बना हुआ है जो की पत्थर से बनाया गया है कहाँ जाता है जो भी भक्त उस पत्थर के नीचे से पार कर जाता है उनके सारे कष्ट पीड़ा वो सब दूर हो जाते है ।
2. राम सरोवर
रूणिचा धाम मंदिर के कुछ दूरी पर राम सरोवर बना हुए जहाँ नौका विहार का लुप्त उठाने के लिए जा सकते है ।
3. रूणिचा कुंआ
सरोवर के पास ही स्थित एक गुफा के पास रूणिचा कुंआ है जिसका मारवाड़ में बहुत ही महत्त्व बता गया है आप यह भी जाईये और दर्शन करिये ।
4. भैरव नाथ गुफा
रूणिचा कुंआ से पैदल दूरी पर यह गुफा बाबा भैरव नाथ की है जिनके दर्शन के अभिलाषी भक्त जरूर जाते है ।
5. पोखरण का किला
रामदेवरा मंदिर से लगभग 13 किलोमीटर दूर स्थित बाबा रामदेव का किला जहाँ आप उस समय के इतिहास से जुड़े कलाकृतिया , उनके बस्त्र , उनके द्वारा उपयोग किये जाने बाले औजार के अलाबा उस ज़माने की और भी कई यादों को यहना संजोया गया है ।
6. पोखरण गुरुद्वारा
पोखरण पास स्थित सिक्खो का धार्मिक तीर्थ स्थल मौजूद है आप वहां जाकर प्रसाद ग्रहण कीजिये उसके बाद आपकी रामदेवरा यात्रा पूरी होती है ।
रामदेवरा का दर्शन कैसे करे ?
रामदेवरा मंदिर में दर्शन के उपरांत वहां रखा 600 साल पुराना नगाड़ा बजा कर अपनी उपस्थिति दर्ज करनी होती है उसके बाद आप दर्शन के लिए लाइन में लग जाइये ।
रामदेवरा जी के दर्शन के अभिलाषी हिन्दू श्रद्धालु नारियल पूजा पाठ के सामान, अगरवत्ती जलाकर दर्शन करते है और वही मुश्लिम भाई चादर चढ़कर अपनी मन्नते मांगते है और मन्नते पूरी होने पर पुनः बाबा रामदेवरा जी द्वार में पधारते है फिर से पूजा अर्चना करते है ।
रामदेवरा मंदिर कैसे पहुंचे ?
दोस्तों रामदेवरा पहुँचने के लिए भारत के 3 प्रमुख पब्लिक transportaion उपलब्ध है
ट्रेन से रामदेवरा कैसे पहुंचे ?
रेलगाड़ी का सफर करके रामदेवरा पहुंचने बाले यात्रियों के लिए इसका नजदीकी रेलवे स्टेशन रामदेवरा है लेकिन यदि आपके शहर से डायरेक्ट रामदेवरा के लिए ट्रैन नहीं है तो जोधपुर तक ट्रैन पकड़ सकते है इसके आगे का सफर वाया बस के माध्यम से कर सकते है ।
क्योंकि ज्यादातर टूरिस्ट जैसलमेर घूमने के बाद ही राम देवरा यानि की रुणिका धाम के लिए प्रस्थान करते है ।
वायु मार्ग
रामदेवरा का नजदीकी एयरपोर्ट जोधपुर है जो की भारत के बिभिन्न बड़े शहरो से प्रतिदिन उड़ने होती रहती है ।
रामदेवरा मंदिर कब खुलेगा ?
रूणिचा धाम यानि की रामदेवरा मंदिर साल के पूरे दिन खुला रहता है लेकिन कोरोना महामारी के चलते कुछ समाय के लिए बंद कर दिया गया था अब उसी प्रकार से फिर से चालू हो गया है ।
निष्कर्ष –
आशा करता हु रूणिचा धाम की यात्रा की सम्पूर्ण जानकारी आपको अच्छी लगी होगी जिसमे आपने जाना रूणिचा धाम कब जाना चहिये , बाबा ने समाधी कैसे ली , एवं उनके चमत्कार क्या थे ।
और पढ़े :