Amarkantak me ghumne ki jagah:- सतपुड़ा , विंध्य , और मैकाल पर्वत श्रेढियों से निकलने बाली अमरकंटक में नर्मदा नदी , सोन नदी और जोहिला नदी का उद्गम होता है ।
अमरकंटक अपने खूबसुरत झरने पवित्र नदिया उची पहाड़ियों और शांत बातावरण से अमरकंटक में घूमने की जगह देखने आने बाले शैलानियों को मन्त्र मुग्ध कर देता है ।
अमरकंटक की यह धरती मध्यप्रदेश का पर्यटन स्थलों में से एक है यहाँ से भारत की दो बड़ी नदियों का उद्गम स्थान है नर्मदा नदी और सोन नदी अमरकंटक से ही निकलती है।
ये दोनों नदिया एक ही स्थान से निकलकर अलग अलग दिशाओ में बहने लगती है । नर्मदा नदी मध्यप्रदेश की सबसे पवित्र और सबसे बड़ी नदी है ।
अमरकंटक में घूमने की जगह । अमरकंटक में प्रसिद्ध स्थान
अमरकंटक को भारत के पवित्र स्थानों में दर्जा दिया गया है । क्योकि ये वो पवित्र स्थान है जहा से तीन बड़ी नदियों का उधगम होता है । चलिए अब हम जानते है अमरकंटक में घूमने के प्रमुख स्थान कौन कौन से है –
1)नर्मदा उद्गम कुंड – (Narmda kund)

माँ नर्मदा नदी का ये उद्गम कुंड भगतो के लिए तीर्थ स्थान जैसा है यहाँ जीबन दानी जलधारा की आराधना का ईस्वरीय स्पर्श आपको सुखद ही मालूम होता है ।
नर्मदा मंदिर परिसर के मुख्य मंदिर के द्वार पर हाथी की खंडित मूर्ती के नीचे से निकलने पर माँ नर्मदा को सत्संग प्रणाम होता है एबं भगत अपने पापो के नष्ट होने की कामना करते है ।
नर्मदा उदगम कुंड के चारो तरफ कई मंदिरो का समूह है जहा हिन्दू धर्मो के सभी देवी देवताओं को समर्पित है नर्मदा उद्गम में गाय का मुख की तरह बनाया गया है जहा से माता नर्मदा का उद्गम मुख्य स्थान है ।
2)सोनमुडा (sonmuda amarkanatak)

सोनमुडा पहुंचने पर पहाड़ी ढलान पर एक सीढ़ी दर रस्ते में चलते हुए शालनी सोन नदी के उद्गम स्थान पर पहुंचते है यहॉ से सुनहरे रंग की झिलमिल जलधारा के रूप में बहती हुयी सोन नदी
एक बड़ी जलधारा का रूप धारण करके मैकाल पर्वत के इन घनघोर जंगलो से होते हए आगे विशाल सोन नदी का रूप धारण कर लेती है ।
सोनकुंडा के इस प्राकृतिक पर्यटन स्थल पर खड़े होकर शैलानी अनंत आकाश में दिखने बाले प्राकृतिक सौंदर्य का शालनी भरपूर आनद लेते है ।
और देखते की प्रकृति बास्तव में कितनी सुन्दर है यहाँ से दिखने बाला दृश्य बाकई आपके दिल को छू लेगा ।
100 fit की उचाई से गिरने बाली ये जलधारा आगे जाकर सुनहरे रेत बाले एक नदी का रूप धारण कर लेती
है इस कारन इसे सोन नदी के नाम से जाना जाता है ।
3)श्री यन्त्र मंदिर- (shri yantra temple amarkantak)

अमरकंटक सोन मूड़ा के रास्ते में स्थित ये भव्य मंदिर अभी निर्माणाधीन है कहते है की अमरकंटक में श्री यन्त्र मंदिर का निर्माण 1991 में शुरू किया गया था
क्योकि ज्योतिषी गड़ना के अनुसार गुरु पुष्य नछत्र में ही इस मंदिर के निर्माण को सबसे शुभ मन गया था इसीलिए सिर्फ गुरु पुष्य नक्षत्र में इस मंदिर का निर्मण हो पता है ।
अमरकंटक में इस मंदिर के निर्माण के लिए सभी शिल्पकारों को दक्षिड़ी भारत एवं पश्चिम बंगाल से बुलाया जाता है इस मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में जिस टेक्निक का इस्तेमाल किया जाता था ठीक उसी तरीके से श्री यन्त्र मंदिर का निर्माण हो रहा है ।
इस मंदिर के मुख्य द्वार पर 4 मुख बाली विशाल मूर्ती में प्रमुख देवी लक्ष्मी , सरस्वती , काली माँ एवं भुबनेस्वरी माँ को समर्पित है ।यदि आप अमरकंटक घूमने कभी जाये तो इस मंदिर को जरूर देखने जाये।
4)माई की बगिया (mayi ki bagiya amarkanatak)

सोन मूड़ा से आगे चलकर दर्शनार्थी माई की बगिया में पहुंचते है वैसे कहने में ही ये स्थान बड़ा पवित्र पावन लगता है इस स्थान का नाम माँ नर्मदा को समर्पित है ।
कहते है इस स्थान पर माँ नर्मदा 12 बर्ष की किसी बालिका के रूप में अवतार लेकर अपनी सखी कुल बकाबलि के साथ में यहाँ खेल खेलती थी
यहाँ पर आने बाले शैलानियों का इस जगह से बहुत महत्व है । माई की बगिया का दर्शन करने के बाद भक्त यहाँ से निकल पड़ते है अमरकंटक में घूमने की जगह के अगले पड़ाव की तरफ ।
5)कपिल धारा -( kapil dhara )

पहाड़ी गलिआरो और जंगली रास्तो से होते हुए पर्यटक जंगल के रास्ते से होते हुए कपिल धरा में पहुंचते है कपिल धरा तक पहुंचने के लिए आपको कुछ दूर तक सीढ़ी दर रास्ता मिलेगा ।
उन रास्तो से नीचे उतरकर बायीं ओर माँ नर्मदा का ये रूप देखकर पर्यटकों का मन प्रफुल्लित हो जाता है ।
कल – कल करता हुआ झरना और झरनो से आती हुयी आवाज पर्यटकों के मन को आलोइकिक शांति का अनुभव देता है । नर्मदा नदी में पड़ने बाला ये पहला प्रपात महामुनि कपिल को समर्पित है ।
नदी अपने उदगम स्थान से निकल कर लगभर 5 किलोमीटर जब आगे की और बहते हुयी आती है तो इस स्थान पर पहुंचने पर नर्मदा नदी अपना विशाल रूप धारण कर के
उचे पहाड़ से अपनी बहती हुयी तेज धारयो के साथ नीचे की तरफ गिरती है ।
नर्मदा उद्गम कुंड से लगभग 5 किलोमीटर दूर यह स्थान काफी खूबसूरत दृश्य बाला जगह है ।
6)दूध धारा – (doodh dhara)

कपिल धरा के दर्शन के बाद पर्यटक निकल पड़ते है अपने अगले पड़ाव के लिए और कपिल धारा से पैदल रास्ते से होकर 200 मीटर की दूरी पर पड़ता है दूध धारा ।
पहाड़ी गलिआरो से बहती हुई माँ नर्मदा आगे चलकर एक सफ़ेद चमकदार झरने के रूप में नीचे गिरती है इस कारण इस झरने को दूध धरा कहा जाता है ।
दूध धारा के पास में ही पड़ती है 2 शानदार प्राकृतिक गुफाये और उन गुफाओं के अंदर पड़ता है माँ नर्मदा और भगवन शंकर जी का मंदिर जहा श्रद्धालु अपनी मनोकामनएं लेकर दर्शन के लिए गुफा के अंदर प्रवेश करते है ।
7)कल्याण सेवा आश्रम( kalyan aashram amarkanatak)
अमरकंटक में इतना सब कुछ घूमने के बाद दर्शनार्थी कल्याण सेवा आश्रम पहुंचते है।
जहा भगवान् के पवित्र मंदिर के दिव्य वातबरण में पूरी यात्रा की थकान इस शांत वातावरण में कुछ ही मिनटों में ही धूमिल हो जाती है । इस मंदिर की खूबसूरती पर्यटकों का मन मोह लेती है ।
8)सर्वोदय जैन मंदिर अमरकंटक (Sarvoday jain mandir amarkanatak )

सर्वोदय जैन मंदिर की खास बात यह की ये आधुनिक भारतीय निर्माण कला में बन रहा ये मंदिर अद्वुतीय है । ये अपने विशाल उचाई से प्रसिद्ध है इसकी उचाई 151 फिट है ।
इस मंदिर की खास बात यह है की इतनी बड़ी संरचना को बिना लोहे एबं सीमेंट के इस्तेमाल के बिना इसको बनाया जा रहा है । भगवान आदिनाथ की 24 टन वजन बाली मूर्ती को 17 टन बजनी अष्ट धातु पर स्थापित किया गया है ।
इस मंदिर का निर्माण आरम्भ साल 2006 में हुआ था और आज भी यह मंदिर अपने निर्माणाधीन अवस्था में है मंदिर के स्वरूप और संरचना को देखकर पर्यटक मंत्र मुग्ध हो जाते है ।
9)ज्वालेश्वर महादेव मंदिर ( jvaleshvar mandir amarkanatak )
अमरकंटक से 8 किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा में बना ये मंदिर जोहिला नदी उद्गम स्थान पर बना हुआ है ।
जैसा की अब आपको पता चल गया होगा की अमरकंटक से 3 नदियों का उद्गम होता है उनमे से ये तीसरी नदी है जोहिला नदी है ।
पुराणों में इस स्थान के बारे में कहा जाता है की माता पार्वती और भगवान् शिव शंकर यहाँ पर निवास करते थे ।
इसीलिए भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर भवगवान शिव की आराधना करते हुए यहाँ तक दर्शन के लिए पहुंचते है ।
10)अमरेश्वर महादेव मंदिर (amresvar mandir)
ज्वालेश्वर मंदिर के पास में ही बना ये मंदिर छत्तीसगढ़ की सीमा में आता है और आधिकारिक रूप से पर्यटक छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में आता है – और इसी लिए पर्यटक छत्तीसगढ़ में प्रवेश कर जाते है ।
अमरेश्वर महादेव मंदिर में भगवान् भोलेनाथ की विशाल 12 फिर ऊँची 51 टन बजनी शिवलिंग के दर्शन कर भक्त अपनी मनोकामना पूर्ती के लिए मन्नते मांगते है ।
माँ नर्मदा नदी की ये पवन नगरी सभी धार्मिक या प्राकृतिक पर्यटन स्थलों की यात्रा पर्यटकों को बहुत सुखद आनद देती है ।
अमरकंटक से कितनी नदिया निकलती है
पावन पवित्र नगरी अमरकंटक में पर्यटकों को घूमने के लिए कई प्राकृतिक और दार्शनिक जगह है जहा पर्यटक अपना समय निकल कर इस पवित्र स्थान को घूम सकते है
विंध्य और सतपुड़ा पर्वत श्रेढियों में बसा अमरकंटक से भारत के 3 प्रमुख नदियों का उद्गम होता है इसीलिए ये मध्यप्रदेश का यह प्रसिद्धः स्थान माना जाता है यहाँ से निकलने बाली प्रमुख नदिया इस प्रकार है –
- नर्मदा नदी
- सोन नदी
- जोहिला नदी
अमरकंटक जाने का सही समय
प्रकृति अपने बादियो में समोहे हुए अमरकंटक स्थान को इस तरीके से अपने खूबसूरती में सजाये हुए है की यहाँ आने बाले पर्यटकों और दर्शनार्थियों को मन्त्र मुग्ध कर देती है ।
वैसे तो अमरकंटक में सभी मौसम में पर्यटक आते रहते है लेकिन यहाँ आने का सबसे अच्छा समय जून से नवम्बर तक का माना जाता है ।
क्योकि इस मौसम में यहाँ के हरे भरे जंगल कल – कल – करती नदिया चारो तरफ झरनो की खूबसूरती पर्यटकों अपने तरफ आकर्षित करता है ।
अमरकंटक मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में चारो तरफ जंगलो से घिरा हुआ है अमरकंटक प्रकृति प्रेमियों को घूमने के लिए एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है यहाँ पर हर मौसम में पर्यटकों आना जाना लगा रहता है।
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नर्मदा नदी अमरकंटक से निकल कर जबलपुर भेड़ाघाट में अपना दिव्य रूप दिखती है
Faq-अमरकंटक के बारे में सबसे ज्यादा पूछे जाने बाले सवाल
अमरकंटक से कितनी नदियां निकलती है?
अमरकंटक से तीन बड़ी नदियों का उधगम होता है-
1.नर्मदा नदी
2.सोन नदी
3.जोहिला नदी
नर्मदा नदी अमरकंटक से निकल कर जबलपुर भेड़ाघाट में अपना दिव्य रूप दिखती है नर्मदा और सोन नदी एक ही स्थान से निकल कर अलग अलग दिशाओ में बहने लगती है नर्मदा नदी मध्यप्रदेश की सबसे पवित्र और सबसे बड़ी नदी है ।
अमरकंटक किस पर्वत श्रेणी में स्थित है ?
सतपुड़ा , विंध्य , और मैकाल पर्वत श्रेढियों से निकलने बाली अमरकंटक में नर्मदा नदी , सोन नदी और जोहिला नदी का उद्गम होता है ।